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बच्चों ने बनाए स्ट्रीट डॉग्स के लिए रैनबसेरे, रंग ला रही जानवरों के प्रति संवेदनशील बनाने की मुहिम

स्कूली बच्चे ठंड के मौसम में घर के इन रखवालों के लिए झोपड़ीनुमा घर बना रहे हैं। इस मुहिम का मकसद बच्चों को जानवरों के प्रति संवेदनशील बनाना है।

नवभारत टाइम्स 10 Feb 2019, 2:20 pm
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम कुत्तों के लिए रैन बसेरा
कुत्तों के लिए रैन बसेरा

पुरानी मेज के नीचे बोरियां बिछाईं। उसके ऊपर पुरानी चादर इस तरह से डाली कि नीचे तक पूरी तरह से ढक जाए। चादर उड़े नहीं... इसके लिए टेबल पर चारों तरफ कील ठोंक दी और उसके ऊपर डाल दी पॉलीथीन। बस इतना करके स्ट्रीट डॉग्स और पपीज के रहने का इंतजाम हो गया। इन मामूली तरीकों का इस्तेमाल कर स्कूली बच्चे ठंड के मौसम में घर के इन रखवालों के लिए झोपड़ीनुमा घर बना रहे हैं।

अभियान की संचालक कामना पांडेय के मुताबिक, इसका मकसद बच्चों को संवेदनशील बनाना भी है। बच्चे आसपास के जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम रखेंगे तो वे समाज के प्रति भी संवेदनशील होंगे और डॉग्स की वजह से घर भी सुरक्षित रहेंगे। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की पूर्व सदस्य कामना पांडेय बताती हैं कि वह अब तक शहर के 40 नामी स्कूलों के बच्चों को डॉग्स और पपीज के लिए घर बनाने का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।

उन्होंने बताया, 'बड़ी बात यह है कि 100 से ज्यादा बच्चे अपने मोहल्लों में डॉग्स के लिए जुगाड़ से घर बना चुके हैं। बच्चे इन घरों की तस्वीरें भी कामना पांडेय को भेज रहे हैं। कुछ बच्चों ने प्लास्टिक, तो कुछ ने बांस की डंडियों और कुछ ने तो प्रचार होर्डिंग्स को तोड़कर ऐसे-ऐसे घरौंदे बनाए हैं, जिन्हें देखकर बड़े-बड़ों को हैरानी होती है।' कामना पांडेय के मुताबिक, बच्चों को कबाड़ से घरौंदा बनाने की ट्रेनिंग देने के साथ हर मौसम के लिहाज से स्ट्रीट डॉग्स की जरूरत के बारे में भी बताया जाता है।

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