-लखनऊ विश्वविद्यालय में कॉमर्स विभाग के 1987 से 1992 बैच की हुई रियूनियन मीट
-कैंपस में घूम-घूम कर याद किए पुराने दिन, जमकर लगाए ठहाके
\Bएनबीटी, लखनऊ: \Bलखनऊ विश्वविद्यालय के 1987 से 1992 बैच के स्टूडेंट्स कई वर्षों बाद फिर मिले तो कैंपस में घूम-घूम कर पुराने दिन याद किए। कैंपस में शताब्दी वर्ष की पहली रियूनियन मीट में सभी ने कहा कि पहले से अब विवि के इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत बदलाव आया है। हमारे समय में नियम-कानून इतने नहीं थे अब ज्यादा हो गए हैं। इस दौरान अल्मनाई ने छात्रसंघ चुनाव करवाने पर भी बात की। रियूनियन मीट में लगभग 60 पूर्व छात्र शामिल हुए। इस मौके पर कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय, अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं निदेशक प्लेसमेंट सेल प्रो. मधुरिमा लाल, चीफ प्रोवोस्ट मनुका खन्ना, अडिशनल चीफ प्रोवोस्ट प्रो. मोनीषा बनर्जी, अडिशनल प्रॉक्टर डॉ. ओपी शुक्ला मौजूद रहे। पूर्व छात्र संजय पाण्डेय ने बताया कि जब भी क्लास में पढ़ने का मन नहीं करता था तो वॉशरुम के बहाने बाहर जाते थे और खिड़की में पटाखे छुड़ाते थे, जिससे सर खुद ही क्लास से चले जाते थे। पूर्व छात्र संजय बाजपेई ने बताया कि पहले सिगरेट के लिए आपस में बहुत झगड़े होते थे। हम सिगरेट के फिल्टर में माचिस भर देते थे। सिगरेट खत्म होने वाली होती थी तो मूंछ भी जल जाती थी। हालांकि ध्यान रखते थे मजाक में किसी को नुकसान न हो।\B
'राजनीति वही, जिससे छात्रों का भला हो'\B
पूर्व छात्रों ने कॉमर्स फैकल्टी पहुंच कर अपने समय के खंभे को ढूंढा, जिस पर रिजल्ट की लिस्ट चस्पा की जाती थी। पूर्व छात्र शेखर ओझा ने कहा कि पहले के मुकाबले अब पढ़ाई ज्यादा होती है। हमारे समय में खाने की व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं थी। अब तो सेंट्रल मेस बन गई है। पूर्व छात्र सतीश श्रीवास्तव ने कहा कि छात्रसंघ वापस आना चाहिए लेकिन राजनीति वह होनी चाहिए, जिससे छात्रों का भला हो। हालांकि, आज की राजनीति व्यापार के लिए हो रही है।