जनसरोकार के मुद्दों पर हुई परिचर्चा
एनबीटी, लखनऊ : 'आओ कि कोई ख्वाब बुने कल के वास्ते' टैग लाइन के साथ मंगलवार को जनसरोकार के मुद्दों पर परिचर्चा का आयोजन गोमतीनगर के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के ऑडिटोरियम में किया गया। इसमें वक्ताओें ने शिक्षा, स्वास्थ्य, किसान, छुट्टा जानवर, वीवी पैड की अनिवार्यता, निजीकरण, निर्मल गंगा अभियान जैसे ज्वलंत मुद्दों को पुरजोर उठाया।
मई दिवस की पूर्व संध्या पर दीपक कबीर के संयोजन में 'हमारा विवेक, हमारा पक्ष, हमारी प्रतिबद्धता' विषय पर किस्सागोई, संवाद और फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसमें मुम्बई से आए आनंद पटवर्धन ने फिल्म 'विवेक' के दृश्यों को दिखाया। इससे पहले हिमांशु बाजपेई ने दास्तान-ए-तमन्ना-ए-सरफरोशी के माध्यम से काकोरी ऐक्शन प्लान के शब्द चित्र प्रस्तुत किए।
परिचर्चा में दिल्ली की पत्रकार भाषा सिंह ने कहा कि समाज को बांटने का कार्य किया जा रहा है। किसानों के खेत जानवर तबाह कर रहे हैं वहीं, रोजगार सृजित नहीं हो रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान के अनुसार वर्तमान सरकार को यह भ्रम है कि वह जो कर रही है सब सही है। सामाजिक कार्यकर्ता सलिल शेट्टी ने कहा कि वीवी पैड के शत-प्रतिशत उपयोग की अनिवार्यता को सुनिश्चित करवाना चाहिए। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के प्रतिनिधि कामरेड संथानी ने कहा कि नोटबंदी से देश के आम नागरिक परेशान हुए हैं। उन्होंने मांग की कि सभी बैंक डिफॉल्टर्स की लिस्ट पर ऐक्शन लिया जाए। किसान नेता शिवाजी राय ने कहा कि किसानों की जमीन का जबरन अधिग्रहण रोका जाए। संदीप पांडेय ने कहा कि वर्तमान सरकार के राज में गंगा को बचाने के लिए अनशन कर रहे साधू प्रदर्शन करते हुए अपनी जान दे रहे हैं। दूसरी ओर प्रचार-प्रसार के अभाव में सार्थक कार्यक्रम में भी जन भागीदारी गिनती की ही रही।