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लखनऊ: पिछले 20 दिन में 17 करोड़ से ज्यादा नकदी और 31 करोड़ की जूलरी आचार संहिता लगने के बाद पुलिस पकड़ चुकी है। यह आंकड़ा काफी बड़ा और चौंकाने वाला है। सवाल यह उठता है कि आखिर चुनाव में इतनी बड़ी रकम कहां से आती है और कहां जाती है। चुनाव में 50 हजार से ज्यादा रकम लेकर चलने पर कई तरह की पाबंदियां होती हैं। इसके बाद भी इतनी रकम लेकर निकलते ही क्यों हैं। राजनीति के जानकार दबी जुबान में बताते हैं कि प्रधानी से सांसदी लड़ने तक में नकद नारायण का सबसे बड़ा खेल है। चाहे कार्यकर्ताओं की गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल भरवाना हो या वोटरों को लुभाने के लिए शराब और खाने का इंतजाम करना, सभी में नकद का खेल चलता है। प्रचार करने और नेताजी के साथ घूमने वालों का खर्च, वोटर को उपहार बंटवाना सभी में कैश से ऐश होती है। जानकार बताते हैं कि ऐसा इसलिए होता है ताकि ये खर्च चुनावी खर्च में न जुड़े। हालांकि चुनाव आयोग और पुलिस की नजर ऐसे कैश मूवमेंट पर लगातार है।
हर विधानसभा में तीन-तीन टीमें
नकदी, लाखों के कीमती सामान व अन्य प्रतिबंधित चीजें पकड़ने के लिए यूपी के हर विधानसभा क्षेत्र में तीन-तीन स्टैटिक सर्विलांस टीम लगाई गई हैं। इसके अलावा जगह-जगह पुलिस भी नाकेबंदी कर रही है। फ्लाइंग स्क्वॉड व आयकर विभाग की टीमें अलग चेकिंग करती हैं।
इस बार जूलरी पर भी नजर
इस बार पुलिस, फ्लाइंग स्क्वॉड व स्टैटिक सर्विलांस टीमों ने बरेली, गाजियाबाद, लखनऊ व महाराजगंज से नकदी के अलावा सोने, चांदी व हीरे के जेवरात भी पकड़े हैं। सबसे बड़ी धरपकड़ गाजियाबाद में हुई जहां करीब 30 करोड़ का 95.775 किग्रा सोना पकड़ा गया। वहीं बरेली में करीब आठ लाख रुपये के 166.46 कैरेट के हीरे और 94 किग्रा तीन लाख 83 हजार की चांदी पकड़ी गई। लखनऊ में करीब ढाई लाख की 61 किलो चांदी पकड़ी गई। महाराजगंज में दो लाख का सोना और 76,000 रुपये की चांदी पकड़ी गई।
गलत रकम नहीं तो मिल जाती है क्लीन चिट
अगर चुनावों के दौरान चेकिंग में पकड़ी गई रकम अवैध नहीं है तो कुछ समय में ही क्लीन चिट मिल जाती है। जैसे विधानसभा चुनाव-2017 के दौरान ही चेकिंग में करीब 50 करोड़ की नकदी पकड़ी गई। सिर्फ 5.50 करोड़ की रकम ही ऐसी थी जिसका हिसाब-किताब नहीं मिल सका। यह रकम आज भी जमा है। बाकी रकम का स्रोत बताने और साक्ष्य दिखाने के बाद छोड़ दी गई।
ये हैं आचार संहिता के दौरान नियम
अगर कोई भी शख्स 50 हजार से रुपये से ज्यादा की नकदी लेकर चल रहा है तो उसे दस्तावेज रखने होंगे।
बैंक के किसी भी अकाउंट से दस लाख रुपये से ज्यादा का लेनदेन होने पर बैंक अफसर ब्योरा प्रशासन को देंगे।
कोई भी शख्स बैंक के किसी खाते में तीन-चार माह बाद एकाएक ज्यादा रकम जमा करवाता है तो उसकी भी जांच करवाई जाएगी। जमा रकम का भी ब्योरा देना होगा।
एटीएम व बैंक के लिए कैश लेकर चलने वाली एजेंसियां भी रात को नहीं निकलेंगी
एजेंसियों को भी डिपॉजिट करने वाली रकम के स्रोत व अन्य बिंदुओं से जुड़े सारे दस्तावेज रखेंगे।
नकदी लेकर निकलें तो रखें ध्यान
जिला निर्वाचन ने एक प्रोफार्मा जारी किया गया है। इसमें व्यापारी, फर्म, पेट्रोल पंप, शराब व्यवसायी व अन्य लोगों को नगदी के साथ एक फॉर्म लेकर चलना होगा। इसमें फर्म का नाम, मालिक का नाम पता, मोबाइल नंबर, नकदी की मात्रा, नकदी लेकर जाने वाले व्यक्ति का नाम पता व मोबाइल नंबर, रकम का सोर्स, जिस गाड़ी से रकम ले जा रहे हैं उसकी डिटेल, कहां रकम देनी है उसकी जानकारी, वाहन में सवार अन्य लोगों को विवरण व नकदी से जुड़ा अन्य विवरण भरना होगा।
10 लाख से कम रकम पकड़ी तो...
आप की जानकारियों का सत्यापन किया जाएगा। अगर जानकारियां सही होंगी तो डिटेल का रेकॉर्ड रखकर छोड़ दिया जाएगा। अगर जानकारियां गलत पाई गईं तो रकम सीज हो जाएगी।
10 लाख से ज्यादा रकम पकड़ी तो...
आयकर विभाग को सूचना दी जाएगी। आयकर की जांच के बाद रकम छोड़ी जाएगी।
लोकसभा चुनाव 2014 में नकदी पकड़ी
19 करोड़ 73 लाख रुपये
10 करोड़ 93 लाख रुपये आयकर विभाग ने सीज किए
8.80 करोड़ रुपये अन्य टीमों ने पकड़े
2248 एफआईआर दर्ज कीं फ्लाइंग स्क्वॉड, स्टैटिक सर्विलांस व पुलिस ने
इन सब चीजों में वही लोग लगे हैं, जो लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते। 700 करोड़ रुपये से ज्यादा अब तक पकड़े गए हैं, सबसे ज्यादा गुजरात में पकड़ा गया। भाजपा के लोगों को अपने काम पर भरोसा नहीं है इसी वजह से वे इन संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सुरेंद्र राजपूत, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए इसे प्रभावित करने वाली चीजों का पकड़ा जाना जरूरी है। कैश की धरपकड़ उसका ही एक हिस्सा है। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह कार्रवाई को और तेज और प्रभावी तरीके से करे। सत्तारूढ़ दल चुनाव को लगातार प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
राजेन्द्र चौधरी, मुख्य प्रवक्ता समाजवादी पार्टी
चुनाव निष्पक्ष हो और पैसे का दुरुपयोग रुकना चाहिए। परेशान वो सियासी दल हो रहे हैं, जो केवल पैसे के दम पर चुनाव लड़ते आए हैं। चुनाव को पारदर्शी करने के लिए और भी सख्ती करनी चाहिए। साथ ही आयोग को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस सख्ती में आम लोग परेशान न हों।
डॉ.समीर सिंह, प्रवक्ता, भाजपा
30 मार्च तक कहां कितना कैश पकड़ा
गौतमबुद्धनगर: 2,35,86,350
लखनऊ: 1,83,16,632
बुलंदशहर: 1,15,3025
कानपुर नगर:1,03,32,400
शामली: 1,02,00000
आगरा: 69, 58,180
सहारनपुर: 61, 02,252
खीरी: 56,33,380
हरदोई: 48,82,380
बरेली: 48,03000
संभल: 39,73,320
गोंडा:38,30,000
उन्नाव: 32,75,420
मुजफ्फरनगर: 25,79,380
रायबरेली:25,58,680
अलीगढ़: 24,08,700
शाहजहांपुर:23,78,750
औरैया:23,55,405
आजमगढ़: 21,57,266
सीतापुर:20,90,300
कौशांबी: 20,89,190
बागपत:18,80,000
बलिया: 16,92,820
बिजनौर: 16,61,300
मऊ:14,06, 459
कानपुर देहात:14,03,090
रामपुर: 13,78,490
अयोध्या:13,50,000
बांदा: 12,79,300
हाथरस: 12,70,000
मेरठ: 12,16,039
जालौन: 11,89,485
बहराइच: 11,59,360
महोबा: 11 लाख
गाजीपुर: 10,99,384
सुल्तानपुर: 08,61,477
जौनपुर: 08,42,700
अमरोहा: 08,08,404
मथुरा: 07,85,500
कन्नौज: 70,70,000
गाजियाबाद:07,44,800
पीलीभीत: 7,00000
मीरजापुर: 06,75,950
हमीरपुर: 06,65,166
फतेहपुर: 05,02,860
इटावा:04,48,500
सिद्धार्थनगर: 04,5,000
फिरोजाबाद: 04 लाख
बाराबंकी: 03,88,350
मैनपुरी: 03,04,000
चित्रकूट:02,79,500
हापुड़: 02,45,000
एटा: 01,67,000
अंबेडकरनगर: 01,20,000