यूपीपीएससी का फैसला: याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में दी जानकारी
एनबीटी ब्यूरो, प्रयागराज
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में किसी स्तर पर आरक्षण का लाभ ले चुके अभ्यर्थी को अंतिम रूप से चयन के दौरान उसी वर्ग में चुना जाएगा, जिसमें उसने आरक्षण लिया है। यदि अभ्यर्थी ने किसी स्तर पर आरक्षण का लाभ नहीं लिया है और वह अंतिम चयन में सामान्य श्रेणी के न्यूनतम कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करता है तो उसका चयन सामान्य श्रेणी में होगा। त्रिस्तरीय आरक्षण के खिलाफ हाई कोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान यूपीपीएससी ने अपने इस निर्णय की जानकारी दी। याचिका में कहा गया है कि किसी भी परीक्षा में आरक्षण का लाभ अंतिम लिस्ट बनाने के दौरान ही देना चाहिए। हर स्तर या किसी भी स्तर पर आरक्षण का लाभ देना संविधान के खिलाफ है। याचिका पर अगली सुनवाई 3 मार्च को होनी है। हालांकि यूपी पीएससी इस फैसले के बावजूद किसी भी स्तर पर आरक्षण दिए जाने का रास्ता अब भी खुला है, जिसका याचिका में विरोध किया गया था।
यूपीपीएससी की परीक्षाओं पर हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि आयोग द्वारा आरक्षण कानून के विपरीत प्रारम्भिक, मुख्य परीक्षा एवं चयन परिणाम में त्रिस्तरीय आरक्षण दिया जा रहा है। जबकि, कानून नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान करता है। यह भी कहा गया कि चयन में आरक्षण लागू करने से यदि सीटें खाली रह जाती हैं तो बैकलॉग भर्ती का नियम है। ऐसे में हर स्तर पर आरक्षण देना गैर कानूनी है। ऐसा करना आरक्षण नियमावली 1994 के धारा 3(2) व अनुच्छेद 16(4)बी के खिलाफ है।
आयोग का तर्क
याचिका में उठाई गई आपत्ति पर आयोग की दलील है कि यदि हर स्तर पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा तो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को चयन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। इस पर कोर्ट ने आयोग से जानना चाहा था कि किस कानून या नियम से त्रिस्तरीय आरक्षण लागू किया जा रहा है। इसके बाद आयोग ने यह निर्णय लेकर कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। त्रिस्तरीय आरक्षण को लेकर 2013 में भी मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था। लेकिन बाद में सरकार ने इसे वापस ले लिया था।
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