लखनऊ
वर्ष 2050 तक लगभग आधी दुनिया में लोगों को मायोपिया (निकटदर्शिता) की समस्या होगी। एशिया के देश इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगे। लगातार कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करना इसकी मुख्य वजह बन रहा है। यह बात केजीएमयू में जॉर्जियन अल्मनाई असोसिएशन की ओर से हुए जॉर्जियन एल्युफेस्ट 2021 के मौके पर डॉ. इंद्रजीत ने कही। 23 जनवरी तक ऑनलाइन चलने वाले इस कार्यक्रम में पहले दिन गुरुवार को मेडिकल साइंस के विद्यार्थियों के लिए वेबिनार हुआ। इसमें अंतरराष्ट्रीय अल्मनाई की ओर से सैप्सिस, जोड़ों की समस्याएं, बच्चों की मनोवृत्ति में परिवर्तन, अंधेपन की रोकथाम के बारे में जानकारी दी गई। यूनाइटेड किंगडम के तीन और ऑस्ट्रेलिया के तीन विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन यूके से प्रो़ धवेन्द्र कुमार और ऑस्ट्रेलिया से प्रो़ शैलजा चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रो़ एके त्रिपाठी ने किया। डीन डेंटल प्रो़ अनिल चंद्रा ने कार्यक्रम का प्रारूप बताया और प्रति कुलपति प्रो़ विनीत शर्मा ने वक्ताओं को धन्यवाद दिया। इस दौरान प्रो़ पीके शर्मा, प्रो़ उमा सिंह और प्रो़ दिवाकर दलेला मौजूद रहे।
वर्ष 2050 तक लगभग आधी दुनिया में लोगों को मायोपिया (निकटदर्शिता) की समस्या होगी। एशिया के देश इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगे। लगातार कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करना इसकी मुख्य वजह बन रहा है। यह बात केजीएमयू में जॉर्जियन अल्मनाई असोसिएशन की ओर से हुए जॉर्जियन एल्युफेस्ट 2021 के मौके पर डॉ. इंद्रजीत ने कही। 23 जनवरी तक ऑनलाइन चलने वाले इस कार्यक्रम में पहले दिन गुरुवार को मेडिकल साइंस के विद्यार्थियों के लिए वेबिनार हुआ।