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केजीएमयू के डॉक्टर से मोबाइल पर ले सकेंगे परामर्श

यह सुविधा सिर्फ उन्हीं मरीजों को दी जाएगी जिनका इलाज लम्बा चलना है या फिर उन गंभीर मरीजों को जिनको कभी भी चिकित्सकीय परामर्श की जरूरत पड़ सकती है। इससे मरीजों को अस्पताल आने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

नवभारत टाइम्स 1 Mar 2019, 6:55 am
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम फाइल फोटो: केजीएमयू
फाइल फोटो: केजीएमयू

केजीएमयू के डॉक्टर से जल्द ही आप मोबाइल फोन पर भी परामर्श ले सकेंगे। ऐसा एक सॉफ्टवेयर के जरिए संभव हो सकेगा। केजीएमयू ने इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग कार्डियॉलजी विभाग के 400 मरीजों पर प्रयोग किया जो पूरी तरह से सफल रहा। इसके तहत दिक्कत होने पर मरीज इस सॉफ्टवेयर पर ही मेसेज से डॉक्टर को तकलीफ बताते हैं, यह मेसेज सीधे संबंधित डॉक्टर के मोबाइल पर पहुंच जाता जिसके पास पहले से ही मरीज की केस हिस्ट्री मौजूद होती है। ऐसे में डॉक्टर ने मरीजों को मोबाइल पर ही परामर्श दे दिया। इससे मरीजों को अस्पताल आने की भी जरूरत नहीं पड़ी।

लारी कार्डियॉलजी के प्रफेसर ऋषि सेठी ने इस प्रॉजेक्ट की स्टडी की। उन्होंने विभाग से इस सिस्टम की रेटिंग मांगी, इसमें पता चला कि मैनुअल सिस्टम के मुकाबले 17 गुना ज्यादा मरीज इससे संतुष्ट रहे। अब विश्‍वविद्यालय इसे अन्य विभागों में भी लागू करने की तैयारी कर रहा है। इसमें मरीज और डॉक्टर दोनों को मोबाइल में यह सॉफ्टवेयर दिया जाएगा। इसमें दो तरह की लॉगइन आईडी है। एक मरीज तो दूसरी चिकित्सक की। मरीज अपनी आईडी से डॉक्टर को सीधे मेसेज कर सकेगा। जबकि चिकित्सक की आईडी में वह मरीज का भेजा हुआ मेसेज दिखेगा, साथ ही उसकी केस हिस्ट्री और रिपोर्ट भी पढ़ सकेगा। ऐसे में डॉक्टर केस हिस्ट्री देखकर उचित परामर्श दे सकेंगे।

गंभीर मरीजों को होगा फायदा
प्रफेसर ऋषि ने बताया कि केजीएमयू आने वाले मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है इसलिए सभी को यह सॉफ्टवेयर नहीं दिया जा सकता। सिर्फ उन्हीं मरीजों को यह सुविधा दी जाएगी जिनका इलाज लम्बा चलना है या फिर उन गंभीर मरीजों को जिनको कभी भी चिकित्सकीय परामर्श की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, पहले फेज में इस सॉफ्टवेयर से आउटर के अस्पतालों को जोड़ने का काम किया जा रहा है जबकि दूसरे फेज में मरीजों को जोड़ा जाएगा।

अमेरिका ने भी पहल को सराहा
प्रफेसर ऋषि ने बताया कि इस सिस्टम को भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका तक ने सराहा। इस स्टडी की एक प्रेजेंटेशन अमेरिका में कुछ दिन पहले हुए एक सम्मेलन में दी गई थी जिसे वहां के लोगों ने काफी पसंद किया। विश्‍वविद्यालय के विभिन्न विभागों में जल्द ही इसे लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।

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