विश्व सीओपीडी डे पर विशेषज्ञों ने दी जानकारी
एनबीटी, लखनऊ
शहर की हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों में सबसे ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (PM 2.5), कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मौजूदगी है। ये प्रदूषक तत्व सांसों के जरिए पहुंचकर फेफड़ों के छोटे-छोटे सुराख बंद कर रहे हैं। विश्व सीओपीडी दिवस पर केजीएमयू में हुए जागरूकता कार्यक्रम में पल्मोनरी विभाग के असोसिएट प्रफेसर अजय वर्मा ने बताया कि फेफड़ों के सुराख बंद होने से लोग अस्थमा के अलावा कैंसर की भी चपेट में आ सकते हैं।
प्रदूषण से बढ़े रहे सीओपीडी के मरीज
क्रोनिक ऑब्सेट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़े की ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज को लगातार खांसी आती है और सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। विश्व सीओपीडी दिवस पर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि भास्कर ने बताया कि प्रदूषण के कारण इसके मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके अलावा अस्थमा के करीब 25 फीसदी मरीज इलाज में लापरवाही के कारण सीओपीडी की चपेट में आ जाते हैं।
स्मॉग से बचाएंगे गुड़ और तुलसी का काढ़ा
गुड़: सीओपीडी के इलाज में गुड़ काफी लाभदायक होता है। गुड़ और काले तिल का लड्डू खाने से सर्दी में सीओपीडी की समस्या नहीं होती।
अंजीर: अंजीर छाती में जमी बलगम और सारी गंदगी बाहर निकाल देती है। इससे सांस नली साफ हो जाती है।
तुलसी का काढ़ा: तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। श्वसन तंत्र को प्रदूषण और एलर्जी से भी बचाती है।
लहसुन: लहसुन भी सांस फूलने की समस्या में लाभकारी है। लहसुन की 3 कलियों को दूध में उबालें, फिर छानकर सोने से पहले पी लें। इसके बाद कुछ भी न खाएं-पिएं।
सौंफ: सौंफ में बलगम साफ करने के गुण होते हैं।
लौंग और शहद: लौंग और शहद का काढ़ा पीने से श्वास नली की रुकावट दूर हो जाती है।
हींग: हींग के इस्तेमाल से सांस फूलने की दिक्कत नहीं होती।