एनबीटी ब्यूरो,लखनऊ: इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में प्रस्तावित संसोधन के विरोध में बिजली इंजीनियर उतर आए हैं। ऑल इंडिया पावर इंजिनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट संशोधित करने के किसी भी बिल को लोकसभा में रखे जाने के पहले बिजली कर्मचारियों अभियंताओं और आम उपभोक्ताओं से बात किया जाना जरूरी है। क्योंकि बिजली आपूर्ति के निजीकरण से सबसे अधिक कर्मचारी और उपभोक्ता ही प्रभावित होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में बिजली आपूर्ति का निजीकरण राष्ट्र हित में नहीं है। बिजली क्षेत्र में घाटे और बिजली की अधिक लागत के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ऊर्जा नीति जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि बिजली महंगी होने की बड़ी वजह सोलर और विंड पावर की खरीद के लिए निजी घरानों से ऊंची दरों पर 25 साल के करार किए गए हैं। आज सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध होने के बावजूद केंद्र सरकार इन करारों की पुनरसमीक्षा नहीं होने दे रही है।
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के विरोध में उतरा पावर इंजिनियर्स फेडरेशन
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में प्रस्तावित संसोधन के विरोध में बिजली इंजीनियर उतर आए हैं। ऑल इंडिया पावर इंजिनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा ...
Navbharat Times 30 Sep 2019, 6:30 am