बरसी पर प्रो़ मलिकजादा मंजूर को लेखकों ने किया याद
एनबीटी, लखनऊ : प्रो़ मलिकजादा मंजूर शायरी के अलावा अपनी जादुई निजामत के लिए जाने गए। मुशायरे में उनकी निजामत के दौरान लोगों को खामोश रहने के लिए कभी कहना नहीं पड़ता था। ये बातें वरिष्ठ शायर शारिब रूदौलवी ने प्रो़ मलिक की बरसी पर आयोजित परिचर्चा में कहीं। रविवार को प्रेस क्लब सभागार में शहर के लेखकों ने प्रो़ मलिकजादा मंजूर अहमद के व्यक्तित्व और उनके लेखन पर चर्चा की।
झारखंड के पूर्व राज्यपाल सिब्ते रजी ने कहा कि प्रो. मलिकजादा उर्दू शायरी के बड़े जानकार थे। उन्होंने हमेशा अपनी शायरी से उर्दू भाषा के विस्तार की बात कही। उनके बेटे परवेज मलिकजादा ने प्रो़ मलिक की पत्रिका इमकान के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में उर्दू अकैडमी की चेयरमैन आसिफा जमानी, पूर्व आईएएस अनीस अंसारी, जफरयाब जिलानी, डॉ. मसीहउद्दीन खान ने प्रो. मलिकजादा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। जुबेर अंसारी, तश्ना आजमी, सैफ बाबर, संजय मिश्रा शौक आदि शायरों ने प्रो़ मलिक के कलाम पेश किए।