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सुरा की खपत से बढ़ा सरकारी खजाने का 'सुरूर'

नई आबकारी नीति के बाद यूपी में देशी और विदेशी शराब की खपत के साथ सरकार खजाने का सुरूर भी तेजी से बढ़ा है। नई नीति लागू होने के शुरुआती दो महीनों में आबकारी राजस्व पिछले साल की अपेक्षा करीब 75% बढ़ गया है।

सूर्य प्रकाश शुक्ला | नवभारत टाइम्स 27 Jul 2018, 8:11 am
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम liquor

नई आबकारी नीति के बाद यूपी में देशी और विदेशी शराब की खपत के साथ सरकार खजाने का सुरूर भी तेजी से बढ़ा है। नई नीति लागू होने के शुरुआती दो महीनों में आबकारी राजस्व पिछले साल की अपेक्षा करीब 75% बढ़ गया है। पिछले साल जहां अप्रैल-मई में सरकार को 2,603 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, वहीं इस साल अप्रैल और मई में राजस्व 1955 करोड़ रुपये बढ़कर 4558 करोड़ रुपये पहुंच गया।

नई नीति के बाद शुरुआत में हुई दिक्कतों से परेशान आबकारी महकमा इससे काफी राहत महसूस कर रहा है। प्रदेश के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह की मानें तो नई नीति लागू होने के बाद जो दिक्कतें सामने आई हैं, उनका अध्ययन किया जा रहा है, ताकि उन्हें दूर कर राजस्व और बढ़ाया जा सके।

11 कंपनियों से एमओयू
नई आबकारी नीति लागू करने के साथ आबकारी विभाग ने शराब उत्पादन से जुड़ी 11 कंपनियों से एमओयू किया था। इनमें 8 कंपनियां पुरानी हैं, जो पहले भी यूपी में देशी और अंग्रेजी शराब की आपूर्ति करती रही हैं। इनमें खैतान, रैडिको, लॉर्ड, आईजीएल, धामपुर, वेव, सुपीरियर और राजस्थान लिकर शामिल हैं। विभाग ने 3 नई कंपनियों के साथ शराब उत्पादन और आपूर्ति का एमओयू किया। इनमें हरियावां (हरदोई), साथियाना (आजमगढ़) और स्नेह रोड (बिजनौर) की कंपनियां हैं। आबकारी मंत्री ने बताया कि सरकार के प्रयास से त्रिवेणी, बलरामपुर, मनकापुर और बभनान की कंपनियों की उत्पादन क्षमता बढ़ी है जबकि बंद हो चुकीं 5 शराब फैक्ट्रियों को शुरू करवाया गया है।

अवैध कारोबार पर शिकंजा
आबकारी मंत्री ने बताया कि अप्रैल और मई में आबकारी राजस्व के साथ शराब और बीयर का उत्पादन भी तेजी से बढ़ा। देशी शराब के उत्पादन में जहां पिछले साल की तुलना में 27% की बढ़ोतरी हुई। अंग्रेजी शराब का 60% और बीयर का 25% उत्पादन बढ़ा। नई आबकारी नीति ने जहां बाजार को नियमित किया, वहीं शराब के अवैध कारोबार पर भी शिकंजा कसा।

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