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ट्रेन हादसाः ट्रेन की तेज आवाज और लोगों की चीखों के साथ टूटा सुबह का सन्नाटा

बुधवार की सुबह न्यू फरक्का एक्सप्रेस में बैठे यात्री बेफिक्र थे। कोई सो रहा था तो कोई ब्रश कर रहा था। कोई सोकर जगा था और बैठकर अंगड़ाई ले रहा था। किसी को अगले स्टेशन पर उतरना था तो वह अपना सामान पैक करने में लगा था।

नवभारत टाइम्स 11 Oct 2018, 9:57 am
रायबरेली
नवभारतटाइम्स.कॉम हादसे में पलटी ट्रेन
हादसे में पलटी ट्रेन

यूपी के रायबरेली में हरचंदपुर स्टेशन के पास बुधवार की सुबह न्यू फरक्का एक्सप्रेस में बैठे यात्री बेफिक्र थे। कोई सो रहा था तो कोई ब्रश कर रहा था। कोई सोकर जगा था और बैठकर अंगड़ाई ले रहा था। किसी को अगले स्टेशन पर उतरना था तो वह अपना सामान पैक करने में लगा था। कोई अपनों से फोन पर जल्दी पहुंचने की बात कर रहा था। किसी को अंदाजा नहीं था कि अगले ही पल में उनकी यात्रा पर ब्रेक लगने वाला है। ट्रेन में झटका लगा और एक पल में सब बिखर गया। हादसे में शिकार ऐसे ही लोगों ने आपबीती बताई।

तेज झटका लगा और हम लोग गिर पड़े
'सुबह करीब छह बजे अचानक खड़खड़ की तेज आवाज आने लगी। फिर चारों तरफ धूल ही धूल उड़ती दिखी, जैसे कोई तूफान आ गया हो। धूल के बीच आंखें बंद हो गई थीं। इतने में ज्यादातर लोग झटके के साथ बर्थों से नीचे आ गिरे। धूल छटी तो देखा कि नाक से खून निकल रहा है। नजदीक की सीटों पर देखा तो कोई दबा पड़ा था तो कहीं बच्चे रो रहे थे। जैसे-तैसे खिड़की से निकलकर बाहर आया।' यह बयां करते हुए रमेश जायसवाल की आंखों में हादसे का खौफ साफ नजर आ रहा था। वाराणसी के रहने वाले रमेश के हाथ-पैर के साथ सीने में भी चोट आई थीं।


सामान छोड़कर भागे लोग

हादसे के बाद धंसे इंजन, पलटी बोगियों और उखड़ी पटरियों के बीच घायलों को देख यात्रियों में अफरातफरी का माहौल रहा। लोग इतने डरे थे कि अपना तक सामान छोड़कर ट्रेन से दूर भागे जा रहे थे। घटना के चार घंटे बाद तक मौके पर लोगों के चप्पल, जूते और बाकी सामान ऐसे ही पड़े थे। दोपहर करीब दो बजे पहली बोगी हटाई गई। इसके नीचे भी लोगों के बैग सहित कई सामान पड़े। बाद में रेलवे और एनडीआरएफ टीम ने सामान हटाकर एक जगह रख दिया।

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दूध मिलते ही गुम हो गई रोने की आवाज
हादसे में घायल कई यात्रियों को रायबरेली जिला अस्पताल लाया गया। इनमें करीब सालभर की बच्ची और उसके दो भाई भी थे। बच्ची और उसका एक भाई एक बेड पर थे, जबकि बड़ा भाई बगल के बेड पर था। नर्स के संभालने-पुचकारने के बाद भी बच्ची रोए जा रही थी। इसी बीच उसके लिए बोतल में दूध लाया गाया। जैसे ही दूध की बोतल मुंह में लगाई गई, रोने की आवाज गुम हो गई। तब डॉक्टरों को समझ आया कि बच्ची चोट से ज्यादा भूख के दर्द से तड़प रही थी। पूछने पर बगल के बेड पर पड़े बच्ची के बड़े भाई ने अपना नाम राकेश बताया। पिता मोहन का पहले ही देहांत हो चुका है। उसके छोटे भाई का नाम रवि और बहन का नाम रति है। तीनों अपनी मां सुनीता के साथ कहीं जा रहे थे, लेकिन हादसे के बाद मां का कुछ पता नहीं चल रहा।


6 घंटे बाद भी नहीं दूर हुई दहशत
हादसे के छह घंटे बाद भी यात्रियों के चेहरे से दहशत दूर नहीं हुई थी। कई के शरीर में अंदरूनी चोट थी। उनकी शिकायत थी कि चारबाग स्टेशन लाए जाने के बाद पुलिस ने बस में उनके नाम-पते नोट किए, लेकिन प्राथमिक चिकित्सा नहीं मुहैया करवाई। वहीं, कई यात्री रोडवेज बस से लखनऊ आए। उन्हें किराया देना पड़ा। वे स्टेशन पहुंचे तो टिकट दिखाकर किराया वापस मांगने लगे, लेकिन अफसरों ने ऐसा सिस्टम न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।

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