1985 में कानपुर में हुई थी ड्राइवर सहित 62 यात्रियों की मौत
एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ
आगरा के पास सोमवार को हुआ हादसा यूपी रोडवेज बसों के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी दुर्घटना है। इस हादसे ने 29 लोगों की जान ले ली। इससे पहले साल 1985 में कानपुर में रोडवेज बस अनियंत्रित होकर गंगा बैराज से नीचे गिर गई थी। उस हादसे में ड्राइवर सहित सभी 62 यात्रियों की जान चली गई थी।
नहीं होता ब्रेथ एनलाइजर टेस्ट
रोडवेज ने तमाम दावों के बावजूद अभी तक ड्यूटी पर भेजने से पहले ड्राइवरों का ब्रेथ एनलाइजर टेस्ट नहीं शुरू किया है। सीजीएम ऑपरेशन राजेश वर्मा का दावा है कि चेकिंग के दौरान कई बार अचानक यह टेस्ट किया जाता है, लेकिन अब तक कितने ड्राइवर नशे में पकड़े गए, इसका कोई आंकड़ा उनके पास नहीं है। पिछले महीने 21 जून को अनुबंधित बस के ड्राइवर राम सिंह के नशे में होने पर खुद यात्रियों ने ही उसे पकड़कर एआरएम के हवाले किया था। बाद में रोडवेज अफसरों ने उसे ड्यूटी से हटवा दिया।
दो ड्राइविंग टेस्ट के बाद होती है भर्ती
रोडवेज के सीजीएम टेक्निकल जयदीप वर्मा का कहना है कि रोडवेज में भर्ती से पहले ड्राइवर का पहली बार क्षेत्रीय स्तर पर और दूसरी बार कानपुर स्थित ड्राइविंग स्कूल में टेस्ट लिया जाता है। इसके बाद कोई ड्राइवर ऐक्सिडेंट कर देता है तो उसे कानपुर भेजकर काउंसलिंग करवाई जाती है। बार-बार हादसे होने पर ड्राइवर को ड्यूटी से हटा दिया जाता है।
फैक्ट फाइल
26152 किमी बस इस साल चला चुका है हादसे का शिकार हुई जनरथ का ड्राइवर कृपा शंकर
6 बार दिल्ली रूट पर बस लेकर भेजा गया था कृपा शंकर को
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ये हादसे भी बड़े
साल 2017: बरेली में रोडवेज बस के फ्यूल टैंक में ट्रक की टक्कर के बाद लगी आग में 25 यात्री जिंदा जल गए थे।
साल 2016: बांदा क्षेत्र में बस के इलेक्ट्रिक लाइन की चपेट में आने से 14 यात्रियों की मौत हो गई थी।