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Lucknow News: 22 साल से बंद था मुंह...7 घंटे चली सर्जरी के बाद खुल गया, SGPGI के डॉक्टरों का चमत्कार

SGPGI News लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने चमत्कार कर दिखाया है। बचपन में लगी चोट की वजह से कानपुर का एक युवक 22 साल से मुंह नहीं खोल पा रहा था। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सात घंटे तक चली सर्जरी के बाद कमाल किया है।

Edited byसुधाकर सिंह | नवभारत टाइम्स 28 Jul 2021, 9:31 am

हाइलाइट्स

  • युवक का 22 साल के बाद खुला मुंह, बचपन में लगी थी चोट
  • लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने किया चमत्कार
  • 4 साल की उम्र में पेड़ से गिर गया था, तरल पदार्थ के सहारे था
  • 7 घंटे तक चली सर्जरी सफल, ठोस भोजन भी जल्द ले सकेगा
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लखनऊ
डॉक्टरों को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डॉक्टरों ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिस पर आसानी से यकीन नहीं किया जा सकता। बचपन में लगी चोट की वजह से एक युवक 22 साल से अपना मुंह खोलने में नाकाम था। लेकिन दो दशक बाद अब उसकी जिंदगी में नई सुबह आई है।
22 साल से लिक्विड के सहारे था युवक
लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) के डॉक्टरों ने मंगलवार को 26 वर्षीय युवक के मुंह का सफल ऑपरेशन कर नया जीवन दिया। चार साल की उम्र में गिरने से लगी चोट के कारण उसका मुंह बंद हो गया था। इसके बाद 22 साल तक वह महज तरल पदार्थों के सहारे रहा। कई जगह दिखाने के बावजूद निराशा हाथ लगी थी और युवक का मुंह नहीं खुल सका था।


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कानपुर के युवक को बचपन में लगी थी चोट
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड डॉ. राजीव अग्रवाल के अनुसार कानपुर देहात निवासी राम शंकर अपने बेटे हरिओम को लेकर आए थे। उन्होंने बताया कि 4 साल की उम्र में पेड़ से गिरने के कारण हरिओम के मुंह में चोट लगी थी। टीएमजे का फ्रैक्चर होने के बाद नीचे और ऊपर का जबड़ा जुड़ने से मुंह खुलना बंद हो गया। कई जगह दिखाने और ऑपरेशन के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ। इतना ही नहीं ऊपर के दो दांत तोड़कर करीब 22 साल से खाने में केवल तरल पदार्थ दिए जा रहे थे।


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7 घंटे की सर्जरी सफल, जल्द ले सकेगा ठोस भोजन
डॉक्टर राजीव ने बताया कि मुंह में नली डालना संभव नहीं था। ऐसे में नाक से नली डालकर एनेस्थीसिया दिया गया। इसके बाद ऑपरेशन शुरू किया गया। पूरी सर्जरी डिस्ट्रेक्शन आस्टीयोजेनेसिस तकनीक से हुई। इसमें में डेवल को काटा और दोनों तरफ डिस्ट्रेक्टर लगा दिया, जिसे रोज 1 एमएम बढ़ाया जाएगा। ऑपरेशन में करीब सात घंटे लगे। अब मरीज पूरी तरह ठीक है। वह धीरे-धीरे ठोस पदार्थ भी खा सकेगा। इलाज के लिए सीएम कोष से मदद मिली है।
लेखक के बारे में
सुधाकर सिंह
साहिल के सुकूं से किसे इनकार है लेकिन तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है...लिखने-पढ़ने का शौक पत्रकारिता की दुनिया में खींच लाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले से ताल्लुक़। पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से और पत्रकारिता में ईटीवी से शुरुआत। सियासत को इतिहास और वर्तमान को अतीत के आईने में देखने की दिलोदिमाग़ में हसरत उठती रहती है। राजनैतिक-ऐतिहासिक शख़्सियतों और घटनाओं पर लिखने की ख़ास चाहत। डिजिटल दुनिया में राजस्थान पत्रिका से सफ़र का आग़ाज़ करने के बाद नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में मंज़िल का नया पड़ाव।... और पढ़ें

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