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ग्लोबल गवर्नेंस का ही एक रूप है सोशल मीडिया

लखनऊ में चल रहे न्यायाधीशों के सम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न देशों के न्यायाधीशों ने वैश्विक कानून की वकालत की। दुनिया भर से यहां हिस्सा लेने आए सभी जस्टिसों ने माना कि गैर सरकारी संस्थाएं और सोशल मीडिया ग्लोबल गवर्नेंस का ही एक रूप हैं।

नवभारत टाइम्स 19 Nov 2018, 11:09 am
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम Social-media

सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में चल रहे न्यायाधीशों के सम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न देशों के न्यायाधीशों ने वैश्विक कानून की वकालत की। इजिप्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस आदेल ओमर शरीफ ने कहा कि अब ग्लोबल गवर्नेंस का समय आ चुका है। गैर सरकारी संस्थाएं और सोशल मीडिया एक तरह से ग्लोबल गवर्नेंस का ही रूप हैं। हमें यह सोचना होगा कि किस तरह इस राजनीतिक प्रवेश को विश्व शांति के लिए प्रयोग कर सकें। वहीं, अफगानिस्तान के न्यायमंत्री डॉ. अब्दुल बशीर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून इतना प्रभावशाली होना चाहिए कि उसका राजनीतिकरण न किया जा सके।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे तुवालू के गवर्नर जनरल इकोबा टी इटालेली ने कहा कि आज देश लोगों के उत्थान से ज्यादा हथियारों पर खर्च कर रहे हैं। जबकि अधिकांश देशों में भुखमरी, गरीबी, अशिक्षा जैसी समस्याएं मौजूद हैं। इस पर हमें मिलकर सोचना होगा। उद्‌घाटन समारोह में प्रदेश के कानून एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि यह सम्मेलन विश्व के देशों को नई विश्व व्यवस्था के मुकाम पर पहुंचाएगा।

विभिन्न देशों से आए न्यायाधीशों और कानूनविदों की आवाज वैश्विक शांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। समानांतर सेशन में ह्यूमन राइट की थीम पर इजराइल की सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी प्रेजिडेंट न्यायमूर्ति हनन मेल्सर ने कहा कि भारतीय संविधान की भांति इजरायली संविधान भी स्वतंत्रता और बराबरी की बात करता है। युगांडा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एल्दाद वानगुसया ने शांति की वकालत करते हुए कहा कि सबसे महंगी शांति सबसे सस्ते युद्ध से भी सस्ती है। सभी देशों को यह बात समझनी चाहिए।

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