इलाहाबाद
भारत में इंजिनियरिंग की पढ़ाई आउटडेटेड है। यह कहना है टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के पूर्व चेयरमैन और पद्म भूषण से नवाजे गए डॉ. एफसी कोहली का। यहां शनिवार को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद (IIIT-A) के 11वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कोहली ने कहा कि देश में चल रहे इंजिनियरिंग कोर्स का सिलेबस आउटडेटेड हो गया है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि आज हमारे पास 1200 से अधिक इंजिनियरिंग कॉलेज हैं, लेकिन अधिकांश में फैकल्टी, लाइब्रेरी और लैबरेटरी की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। देश के इंजिनियरिंग कॉलेज में चल रहा सिलेबस देश की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमें देश के इंजिनियरिंग कॉलेजों के लिए बेहतरीन फैकल्टी चाहिए। इसके लिए उच्चस्तरीय इंजिनियरों की जरूरत है, जिससे हम देश के अंदर नए उत्पाद बना सकें, रिसर्च के क्षेत्र की जरूरतें पूरी कर सकें और देश से अधिक से अधिक मास्टर और डॉक्टर डिग्रीधारी इंजिनियर निकलें। फिलहाल देश के आईआईटी और इसके समकक्ष इंजिनियरिंग कॉलेजों से हर साल 3000-3500 इंजिनियर निकल रहे हैं, जिनमें से दो हजार तो उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले जाते हैं और 500 के करीब मैनेजमेंट कोर्स करने लगते हैं। इससे देश में मास्टर और पीएचडी शिक्षा के लिए अपर्याप्त इंजिनियरिंग ग्रैजुएट बचते हैं।
डॉ. कोहली ने कहा कि हमारे पास 50-60 कॉलेज ऐसे हैं जो इंटरमीडिएट में 85 प्रतिशत से ऊपर अंक हासिल करने वाले स्टूडेंट का इंजिनियरिंग कोर्स में ऐडमिशन लेते हैं। अगर हम इन कॉलेजों में शिक्षा का स्तर आईआईटी के स्तर का कर दें तो हमें हर साल 25 से 30 हजार बेहतरीन इंजिनियर और छह हजार पीएचडी डिग्रीधारी मिल सकते हैं।
समारोह की अध्यक्षता IIIT-A के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन रविकांत ने और संस्थान की रिपोर्ट ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. जीसी नंदी ने की।