एनबीटी, लखनऊ : छावनी परिषद दुधारू पशुओं को तो गोकुल नगरी भेजने की तैयारी कर रहा है, लेकिन यहां के आवारा पशुओं के लिए फिलहाल कोई योजना नहीं है। यहां आवारा पशुओं का आतंक इतना है कि हर सप्ताह दर्जन भर लोग इसका शिकार हो रहे हैं। आवारा कुत्तों और खुल्ला सांड़ों ने छावनी की जनता का जीना तक मुहाल कर दिया है। पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था लेकिन इस बार होने वाली बोर्ड में जोर शोर से एक बार फिर आवारा पशुओं का मुद्दा उठाने की तैयारी हो रही है।
छावनी में पिछले दिनों ही सदर इलाके में एक कुत्ते ने दो राहगीरों को काट लिया था, जिसके बाद छावनी के पार्षद संजय दयान ने बोर्ड मीटिंग में यह मुद्दा उठाया था। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। हालात यह हैं कि राहगीरों का सदर इलाके से गुजरना तक मुश्किल हो गया है। पार्षद संजय का कहना है कि केवल छावनी में ही एक सप्ताह में 10 लोग खुल्ला पशुओं के हमले से घायल हुए हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए बोर्ड मीटिंग में इसके स्थायी समाधान पर बात की जाएगी। छावनी परिषद ने 2009 में अभियान चलाकर कुत्तों का बधियाकरण किया था, लेकिन उसके बाद से दोबारा इस तरफ किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया।
पहली प्राथमिकता दुधारू गायों को गोकुल नगरी भेजने की है। आवारा पशुओं पर भी विचार कर रहे हैं। इसके लिए कुछ एनजीओ से बात हो रही है जो जानवरों के लिए काम करते हैं। गोकुल नगरी का काम पूरा होते ही एनजीओ को आवारा पशु दे दिए जाएंगे। - अमित कुमार मिश्रा, सीईओ, छावनी परिषद