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एक ही शहर पर सीमाएं अलग हैं...

\Bलखनऊ उत्सव के तीसरे दिन हुआ कवि सम्मेलन\B\Bएनबीटी, पीजीआई :\B सृजन फाउंडेशन और ड्रीम्ज ग्रुप की ओर से 'होली के रंग, लखनऊ उत्सव के संग' थीम पर ...

Navbharat Times 24 Feb 2020, 6:30 am

\Bलखनऊ उत्सव के तीसरे दिन हुआ कवि सम्मेलन\B

\Bएनबीटी, पीजीआई :\B सृजन फाउंडेशन और ड्रीम्ज ग्रुप की ओर से 'होली के रंग, लखनऊ उत्सव के संग' थीम पर आयोजित लखनऊ उत्सव 2020 के समापन पर रविवार को कवि सम्मेलन हुआ। आशियाना सेक्टर-जे रेलनगर विस्तार कॉलोनी स्थित कथा मैदान में हुए कवि सम्मेलन की शुरुआत कवि प्रख्यात मिश्रा और व्याख्या मिश्रा ने की।

इसमें प्रियांशु वात्सल्य ने राजनीति पर कटाक्ष करते हुए सुनाया कि 'सत्ताएं मदमस्त हो रहीं सो रही जवानी है, चाटुकारों का निवास बना राजधानी है'। वात्सल्य श्याम ने सुनाया कि 'है एक ही शहर पर सीमाएं अलग हैं, हाथ वही पर अब रेखाएं अलग हैं'। प्रख्यात मिश्रा ने राष्ट्रभक्ति से सराबोर हो सुनाया कि 'या तो इस तिरंगे में लपेट घर आऊंगा मां, या तो ये तिरंगा सीमा पार लहराऊंगा मां'। सम्मान समारोह में अखिल तिवारी को रमाशंकर यादव विद्रोही सम्मान 2020 और अमिता सिंह को साहित्य रत्न सम्मान से अलंकृत किया गया। सृजन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ.अमित सक्सेना ने बताया कि सोमवार को स्वरांजलि कल्चरल ग्रुप की ओर से शाम छह बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

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