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घाघरा का नाम सरयू रखेगी प्रदेश सरकार

बीजेपी सरकार शहरों के बाद अब नदियों को भी धार्मिक अजेंडे में शामिल करने जा रही है। सिंचाई मंत्री ने बुधवार को कहा कि घाघरा नदी को अब सरयू के नाम से जाना जाएगा।

Navbharat Times 21 Sep 2017, 1:00 pm
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम घाघरा नदी का प्रतीकात्मक चित्र
घाघरा नदी का प्रतीकात्मक चित्र


बीजेपी सरकार अब नदियों को भी धार्मिक अजेंडे में शामिल करने जा रही है। सिंचाई मंत्री ने बुधवार को कहा कि घाघरा नदी को अब सरयू के नाम से जाना जाएगा। सरयू का पौराणिक महत्व है और अयोध्या जैसे शहर बसे हैं जो हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। उनके आदेश पर सिंचाई विभाग इस बारे में प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है।

अलग-अलग इलाकों में प्रचलित हैं कई नाम : घाघरा और सरयू एक ही नदी हैं। इन्हें अलग-अलग इलाकों में अलग नामों से जाना जाता है। इसका उद्गम नेपाल से है। वहां से उत्तराखंड होते हुए बहराइच, गोंडा, अयोध्या और पूर्वांचल के कई शहरों में यह नदी बहती है। यहां से बिहार में छपरा के पास गंगा में मिल जाती है। उत्तराखंड में इसे काली नदी के नाम से जाना जाता है। उसके बाद यूपी में आने पर शारदा कहा जाता है। गोंडा से अयोध्या और फैजाबाद के आसपास तक सरयू और फिर आगे जाकर घाघरा के नाम से पुकारा जाता है। पौराणिक और धार्मिक ग्रंथों में सरयू नाम से इसका जिक्र है। वहीं दस्तावेजों में अंग्रेजों के समय से अब तक गोगरा, घाघरा नाम दर्ज हैं। कुछ दस्तावेजों में सरयू और शारदा नाम भी है।

सिंचाई विभाग बना रहा प्रस्ताव : सिंचाई मंत्री ने सरयू नाम रखे जाने के आदेश सिंचाई विभाग को दिए हैं। यह एक पवित्र नदी है और अयोध्या जैसे ऐतिहासिक शहर बसे हुए हैं जो हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा है कि घाघरा का नाम सरयू करने का प्रस्ताव जल्द लाया जाएगा। इस बारे में जानकारों का मानना है कि यह काम आसान नहीं होगा। इसकी वजह है कि यह नदी नेपाल से आती है और कई राज्यों से होकर गुजरती है। इस पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार ही ले सकती है। प्रमुख सचिव सिंचाई सुरेश चंद्रा कहते हैं कि मंत्री जी ने कहा है तो हम उनसे बात करके प्रस्ताव भेजेंगे।


स्थानीय स्तर पर नदियों के अलग-अलग नाम होते हैं। शोध या रिसर्च में दुनिया भर में वही नाम प्रामाणिक माना जाता है जो सर्वे ऑफ इंडिया की टोपोशीट में दर्ज है। स्थानीय स्तर पर कुछ भी बदलाव किए जा सकते हैं लेकिन टोपोशीट में बदलाव का निर्णय भी सर्वे ऑफ इंडिया ही करेगा। यह संस्थान केंद्र सरकार के अधीन काम करता है।
डॉ. ध्रुवसेन सिंह, भूगर्भ शास्त्री

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