लखनऊ
उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के 50 हजार से ज्यादा नि:शक्तजनों का विशिष्ट नि:शक्त पहचान पत्र (यूडीआईडी) बनाने का काम मार्च 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा। जिला दिव्यांग जनकल्याण अधिकारी डॉ. अमित कुमार ने मंगलवार को बताया कि यह कार्ड आधार की तर्ज पर बनाया जा रहा है। जो कि पूरे देश में नि:शक्तों के लिए मान्य होगा।
सीएमओ को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। अब तक जिले में करीब 250 लाभार्थियों का यह कार्ड दिया जा चुका है। जिले के समस्त नि:शक्तों का यह कार्ड उपलब्ध करवाने के लिए मार्च 2018 तक का लक्ष्य मिला है। नि:शक्तजन www.swavlambancard.gov.in/pwd/application पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य नि:शक्तों की सही गणना के साथ ही गरीबी रेखा के नीचे वाले लाभार्थियों को चयन करना है। देश भर में एक ही केंद्रीयकृत वेब अप्लीकेशन के माध्यम से सभी आंकड़ें ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इससे अस्पतालों में विकलांगता का लाभ लेने का फर्जीवाड़ा भी रुकेगा।
सूत्रों के मुताबिक जिले में कई विकलांग प्रमाण पत्र संदिग्ध मिले हैं। इनकी जांच करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले में 50 हजार में से 17,236 नि:शक्तों को पेंशन दी जा रही है। ये सभी लाभार्थी गरीबी रेखा के नीचे पाए गए हैं। डॉ. अमित ने बताया कि नियमानुसार 40 फीसदी से ज्यादा शारीरिक अपंग व्यक्ति को रेलवे या बस में आने जाने की सुविधा में रियायत दी जाती है लेकिन एक प्रदेश दूसरे प्रदेश के दिव्यांग प्रमाण पत्र को तरजीह नहीं देते हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश के दिव्यांगजनों के लिए यह यूडीआईडी कार्ड जारी करने का फैसला लिया है।
अब यूडीआईडी से ही विकलांगता की पहचान साबित होगी। विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन तक आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के बाद एजेंसियां संबंधित डाटा का डिजिटाइजेशन करेंगी।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के 50 हजार से ज्यादा नि:शक्तजनों का विशिष्ट नि:शक्त पहचान पत्र (यूडीआईडी) बनाने का काम मार्च 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा। जिला दिव्यांग जनकल्याण अधिकारी डॉ. अमित कुमार ने मंगलवार को बताया कि यह कार्ड आधार की तर्ज पर बनाया जा रहा है। जो कि पूरे देश में नि:शक्तों के लिए मान्य होगा।
सीएमओ को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। अब तक जिले में करीब 250 लाभार्थियों का यह कार्ड दिया जा चुका है। जिले के समस्त नि:शक्तों का यह कार्ड उपलब्ध करवाने के लिए मार्च 2018 तक का लक्ष्य मिला है। नि:शक्तजन www.swavlambancard.gov.in/pwd/application पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य नि:शक्तों की सही गणना के साथ ही गरीबी रेखा के नीचे वाले लाभार्थियों को चयन करना है। देश भर में एक ही केंद्रीयकृत वेब अप्लीकेशन के माध्यम से सभी आंकड़ें ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इससे अस्पतालों में विकलांगता का लाभ लेने का फर्जीवाड़ा भी रुकेगा।
सूत्रों के मुताबिक जिले में कई विकलांग प्रमाण पत्र संदिग्ध मिले हैं। इनकी जांच करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले में 50 हजार में से 17,236 नि:शक्तों को पेंशन दी जा रही है। ये सभी लाभार्थी गरीबी रेखा के नीचे पाए गए हैं। डॉ. अमित ने बताया कि नियमानुसार 40 फीसदी से ज्यादा शारीरिक अपंग व्यक्ति को रेलवे या बस में आने जाने की सुविधा में रियायत दी जाती है लेकिन एक प्रदेश दूसरे प्रदेश के दिव्यांग प्रमाण पत्र को तरजीह नहीं देते हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश के दिव्यांगजनों के लिए यह यूडीआईडी कार्ड जारी करने का फैसला लिया है।
अब यूडीआईडी से ही विकलांगता की पहचान साबित होगी। विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन तक आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के बाद एजेंसियां संबंधित डाटा का डिजिटाइजेशन करेंगी।