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UP Panchayat Chunav: हर जिले में घटेंगे लेकिन संभल, गोंडा, मुरादाबाद और गाजीपुर में बढ़ेंगे प्रधान

यूपी के 71 जिलों में या तो ग्राम प्रधानों की संख्या बीते चुनाव जितनी ही है या कम हो गई है। ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जिनमें संख्या कम हुई है। इसके अलावा पंचायतों में वार्डों की संख्या में 12,745 की कमी आएगी जबकि क्षेत्र पंचायतों के वॉर्ड में 2,046 की कमी आएगी।

Reported byरोहित मिश्रा | नवभारत टाइम्स 21 Jan 2021, 9:28 am

हाइलाइट्स

  • सीमा विस्तार या नए शहरी निकायों के गठन का असर पंचायत चुनाव में भी दिखेगा
  • यूपी के 71 जिलों में ग्राम प्रधानों की संख्या वर्ष 2015 के मुकाबले कम हो जाएगी
  • गोंडा, संभल, मुरादाबाद और गाजीपुर जिले में ग्राम प्रधानों की संख्या बढ़ जाएगी

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लखनऊ
बीते कुछ समय में शहरी निकायों की सीमा में हुए विस्तार या नए शहरी निकायों के गठन का असर इस बार पंचायत चुनावों में भी दिखेगा। सभी जिलों में ग्राम प्रधानों की संख्या वर्ष 2015 के मुकाबले कम हो जाएगी। हालांकि यह दिलचस्प है कि जहां एक तरफ सभी जिलों में प्रधानों की संख्या कम होगी लेकिन गोंडा, संभल, मुरादाबाद और गाजीपुर में ग्राम प्रधानों की संख्या बढ़ जाएगी।
पंचायतीराज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बीते साल गोंडा में 1054 प्रधान थे, जबकि इस बार जब चुनाव होगा तो 1,214 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। मुरादाबाद में पिछले चुनाव में 588 प्रधान चुने गए थे, जबकि इस बार के चुनाव में 643 प्रधान चुने जाएंगे। संभल में भी संख्या 556 से बढ़कर 670 हो जाएगी। गाजीपुर में 1,237 से बढ़कर 1,238 ग्राम प्रधान हो जाएंगे।

इसके अलावा बाकी के 71 जिलों में या तो ग्राम प्रधानों की संख्या बीते चुनाव जितनी ही है या कम हो गई है। ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जिनमें संख्या कम हुई है। इसके अलावा पंचायतों में वार्डों की संख्या में 12,745 की कमी आएगी जबकि क्षेत्र पंचायतों के वॉर्ड में 2,046 की कमी आएगी। जिला पंचायत के वार्ड भी 3,120 से घटकर 3,051 हो गए हैं।

आरक्षण तय करने का काम लगभग पूरा
सूत्र बताते हैं कि ग्राम पंचायतों के चुनाव के लिए आरक्षण का काम लगभग पूरा हो गया है। क्षेत्र और जिला पंचायत के आरक्षण लगभग फाइनल हैं जबकि ग्राम पंचायतों में आरक्षण तय किए जाने का काम अंतिम दौर में है। हालांकि इनके जारी होने में अभी इंतजार होगा।

सूत्र बताते हैं कि चुनाव की तारीख लगभग तय होने के बाद जिलों में आरक्षण की स्थिति पर आपत्तियां मांगी जाएंगी। इसके बाद इन्हें फाइनल किया जाएगा।

बदलेंगे निकाय कोटे की एमएलसी सीटों के भी समीकरण
ग्राम पंचायतों की कम हुई संख्या का असर निकाय कोटे की एमएलसी सीटों पर भी पड़ेगा। वजह यह है कि ग्रामीण हिस्से के शहरी इलाके में शामिल होने का ज्यादातर काम 2017 के शहरी निकायों के चुनाव के बाद हुआ है। ऐसे में शहरी इलाकों की सीमा का विस्तार तो हो गया है या फिर नई नगर पंचायतों का गठन हो गया है, लेकिन वहां निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं।

ऐसे में अगले साल जब एमएलसी के लिए 36 सीटों पर चुनाव होंगे तो वोटरों की संख्या पहले से कम होगी। खास क्षेत्रों के शहरी इलाकों में शामिल होने का असर एमएलसी का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के वोटों पर भी पड़ेगा।
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रोहित मिश्रा

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