लखनऊ
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव (UP Panchayat chunav latest news) में मतगणना पर रोक लगाने से शनिवार को इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार को मतगणना होगी, जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारी कर ली है। आयोग ने उम्मीदवारों और उनके एजेंटों को स्पष्ट हिदायत दी है कि मतगणना केंद्रों में उन्हें ही एंट्री मिलेगी जिनकी कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव होगी। आरएसएस के अनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ और उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ समेत कई संगठनों ने मतगणना के बहिष्कार की घोषणा की थी, लेकिन शनिवार की शाम उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी के साथ बातचीत के बाद उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ समेत कई संगठनों ने मतगणना न करने का अपना फैसला वापस ले लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई मतगणना पर रोक, बॉयकॉट वापस लेने का था दबाव
रात नौ बजे तक राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ मतगणना कराने को लेकर कोई फैसला नहीं कर सका था। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और सैकड़ों कर्मचारी, शिक्षक, इंजिनियरों और अधिकारियों की मौत के बाद कई शिक्षक और कर्मचारी संगठनों की मांग पर मतगणना बहिष्कार की घोषणा की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए मतगणना में शामिल होने का फैसला लिया है। शनिवार शाम जारी एक बयान में इन संगठनों के एक समूह ने मतगणना ड्यूटी में लगाए गए कार्मिकों, शिक्षकों की सुरक्षा के संबंध में मुख्य सचिव स्तर की वार्ता में दस मांगें रखीं। शासन से इनका अनुपालन कराए जाने का आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारी और शिक्षक संगठनों ने मतगणना में शामिल होने का निर्णय लिया है।
शिक्षक संघ ने रखी थीं ये मांगें, आश्वासन मिलने के बाद माने
शासन के आला अफसरों के सामने मतगणना के दौरान कार्मिकों को किट उपलब्ध कराने, हर जिले में 10 बेड आईसीयू और वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की उपलब्धता के साथ इसकी व्यवस्था के लिए अधिकारी की नियुक्ति, सभी कार्मिकों का टीकाकरण, ड्यूटी में लगे कार्मिकों चाहे वह नियमित हों या संविदा, स्थाई मानदेय को कोरोना डयूटी के दौरान मृत्यु होने पर पचास लाख मुआवजा, मृतक के आश्रितों को नौकरी, कोरोना पीड़ितों के सभी खर्च सरकार की ओर से वहन करने की मांग रखी गई। पीने के पानी की सील्ड बोतल और वाहन की व्यवस्था, पीड़ित कार्मिकों को मोबाइल की अनुमति दी जाए।
जिन कर्मियों को खांसी-बुखार होगा, उनकी ड्यूटी नहीं लगेगी
विशेष रूप से यह तय किया गया कि जिन कार्मिकों को खांसी-बुखार होगा उन्हें ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा। कार्मिकों की अधिकतम ड्यूटी आठ घण्टे और मतगणना जारी रहने तक मतगणना स्थल के आसपास कर्फ्यू जारी रखने की भी मांग की गई। इसके पहले उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा था कि दो मई को प्रस्तावित मतगणना स्थगित नहीं की गई तो हमारे विभाग के शिक्षक मतगणना का बहिष्कार करेंगे।
चार चरणों में इन पदों के लिए हुआ है मतदान
राज्य में चारों चरणों में ग्राम पंचायत प्रधान के 58,194, ग्राम पंचायत सदस्य के 7,31,813, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 75,808 और जिला पंचायत सदस्य के 3,051 पदों के लिए मत डाले गए हैं। इनमें से कुछ पदों पर निर्विरोध निर्वाचन भी हो चुका है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से पंचायत चुनाव प्रक्रिया 25 मई तक खत्म करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव (UP Panchayat chunav latest news) में मतगणना पर रोक लगाने से शनिवार को इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार को मतगणना होगी, जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारी कर ली है। आयोग ने उम्मीदवारों और उनके एजेंटों को स्पष्ट हिदायत दी है कि मतगणना केंद्रों में उन्हें ही एंट्री मिलेगी जिनकी कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव होगी। आरएसएस के अनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ और उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ समेत कई संगठनों ने मतगणना के बहिष्कार की घोषणा की थी, लेकिन शनिवार की शाम उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी के साथ बातचीत के बाद उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ समेत कई संगठनों ने मतगणना न करने का अपना फैसला वापस ले लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई मतगणना पर रोक, बॉयकॉट वापस लेने का था दबाव
रात नौ बजे तक राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ मतगणना कराने को लेकर कोई फैसला नहीं कर सका था। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और सैकड़ों कर्मचारी, शिक्षक, इंजिनियरों और अधिकारियों की मौत के बाद कई शिक्षक और कर्मचारी संगठनों की मांग पर मतगणना बहिष्कार की घोषणा की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए मतगणना में शामिल होने का फैसला लिया है। शनिवार शाम जारी एक बयान में इन संगठनों के एक समूह ने मतगणना ड्यूटी में लगाए गए कार्मिकों, शिक्षकों की सुरक्षा के संबंध में मुख्य सचिव स्तर की वार्ता में दस मांगें रखीं। शासन से इनका अनुपालन कराए जाने का आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारी और शिक्षक संगठनों ने मतगणना में शामिल होने का निर्णय लिया है।
शिक्षक संघ ने रखी थीं ये मांगें, आश्वासन मिलने के बाद माने
शासन के आला अफसरों के सामने मतगणना के दौरान कार्मिकों को किट उपलब्ध कराने, हर जिले में 10 बेड आईसीयू और वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की उपलब्धता के साथ इसकी व्यवस्था के लिए अधिकारी की नियुक्ति, सभी कार्मिकों का टीकाकरण, ड्यूटी में लगे कार्मिकों चाहे वह नियमित हों या संविदा, स्थाई मानदेय को कोरोना डयूटी के दौरान मृत्यु होने पर पचास लाख मुआवजा, मृतक के आश्रितों को नौकरी, कोरोना पीड़ितों के सभी खर्च सरकार की ओर से वहन करने की मांग रखी गई। पीने के पानी की सील्ड बोतल और वाहन की व्यवस्था, पीड़ित कार्मिकों को मोबाइल की अनुमति दी जाए।
जिन कर्मियों को खांसी-बुखार होगा, उनकी ड्यूटी नहीं लगेगी
विशेष रूप से यह तय किया गया कि जिन कार्मिकों को खांसी-बुखार होगा उन्हें ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा। कार्मिकों की अधिकतम ड्यूटी आठ घण्टे और मतगणना जारी रहने तक मतगणना स्थल के आसपास कर्फ्यू जारी रखने की भी मांग की गई। इसके पहले उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा था कि दो मई को प्रस्तावित मतगणना स्थगित नहीं की गई तो हमारे विभाग के शिक्षक मतगणना का बहिष्कार करेंगे।
चार चरणों में इन पदों के लिए हुआ है मतदान
राज्य में चारों चरणों में ग्राम पंचायत प्रधान के 58,194, ग्राम पंचायत सदस्य के 7,31,813, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 75,808 और जिला पंचायत सदस्य के 3,051 पदों के लिए मत डाले गए हैं। इनमें से कुछ पदों पर निर्विरोध निर्वाचन भी हो चुका है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से पंचायत चुनाव प्रक्रिया 25 मई तक खत्म करने को कहा था।