लखनऊः देश भर की सियासत में इन दिनों राष्ट्रवाद का मुद्दा केंद्र में है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने हर चुनावी एजेंडे में राष्ट्रवाद को प्रमुखता से आगे रखा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इससे उसे काफी सफलताएं भी मिली हैं। बहुत से लोग यह मानेंगे कि बीजेपी ने अपने आपको देश की एकमात्र ऐसी पार्टी के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसे देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतीकों से लगाव और जुड़ाव है। अपने हर मुद्दों को 'राष्ट्र' और 'राष्ट्रवाद' से जोड़ने के पीछे पार्टी की भी यही मंशा होती है। माना जा रहा है कि आंदोलन से निकली दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी बीजेपी की राह पर चलते हुए 'राष्ट्रवाद' के मुद्दे से ही उसे टक्कर देने की कोशिश कर रही है।
यही कारण है कि आम आदमी पार्टी की योजनाओं और परियोजनाओं में भी 'राष्ट्रवादी' विषय आते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाशती अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी तिरंगा शाखाओं की शुरुआत करने वाली है। इसके जरिए पार्टी उत्तर प्रदेश में वार्ड स्तर पर संगठन को मजबूत करने की कोशिश करेगी। आने वाले नगर निकाय चुनाव में भी पार्टी के चुनाव लड़ने की प्रबल संभावनाएं हैं। ऐसे में निकाय चुनाव में अपनी सियासी जमीन को पुख्ता करने में ये तिरंगा शाखाएं उसकी मदद कर सकती हैं।
1 जुलाई से शुरू होंगी तिरंगा शाखाएं
आप आगामी 1 जुलाई से यूपी में 10 हजार तिरंगा शाखाओं की शुरुआत करेगी। आने वाले 6 महीने में इन शाखाओं का गठन किया जाएगा। यूपी प्रभारी और सांसद संजय सिंह (aap mp sanjay singh) ने बताया है कि पार्टी यूपी के सभी वार्डों में सभी चेयरमैन और मेयर के पद पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। संगठन को मजबूत करने के लिए 30 घरों पर एक मोहल्ला प्रभारी बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि पार्टी उत्तर प्रदेश में तिरंगा शाखाओं का निर्माण करेगी।
संघ की शाखा बनाम तिरंगा शाखा
शाखा संघ की सबसे छोटी इकाई मानी जाती है, जहां स्वयंसेवक इकट्ठे होकर आत्म प्रशिक्षण का अभ्यास करते हैं। साथ ही एक साथ मिलकर प्रार्थना करते हैं। आमतौर पर शाखाओं की शुरुआत भगवा ध्वज के आरोहण से शुरू होती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की तिरंगा शाखा को आरएसएस की ही शाखाओं के बरअक्स देखा जा रहा है। आप नेता संजय सिंह के उस बयान पर गौर करें, जिसमें उन्होंने अपनी तिरंगा शाखाओं के मकसद के बारे में बताया है, तो उनकी मंशा बहुत कुछ साफ हो जाती है।
संजय सिंह ने कहा, 'बाबा साहब भीम राम अंबेडकर के बनाए गए संविधान के लिए, भारत माता की आन बान और शान के लिए गर्व से तिरंगा हम लोग लहराते हैं। उस तिरंगे की आन बान शान के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में पार्टी तिरंगा शाखाओं का निर्माण करेंगी।' उन्होंने आगे कहा कि इनके माध्यम से हम उत्तर प्रदेश और भारत की जनता को संदेश देना चाहते हैं कि हर भारतीय की पहचान तिरंगा निशान। भारत का संविधान।
जाहिर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में तिरंगे की जगह भगवा ध्वज का लगाया जाता है। आप शायद यही मुद्दा खासतौर पर उठाना चाहती है। तिरंगा शाखाओं के जरिए उसकी कोशिश 'संघ का भगवा ध्वज' बनाम 'भारत का तिरंगा ध्वज' करके सियासी लाभ लेने की लगती है। बीजेपी और संघ पर विपक्षी दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि दोनों संगठनों की निष्ठा भारत के तिरंगा ध्वज से ज्यादा भगवा ध्वज में है। ऐसे में तिरंगा शाखाओं की शुरुआत कर आम आदमी पार्टी शायद संघ को सीधे निशाने पर लेने की फिराक में है, ताकि उसकी राजनैतिक ईकाई बीजेपी का प्रभाव कम किया जा सके।
निकाय चुनाव में AAP
इसके अलावा आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी गहरी पैठ बनाने की कोशिश में है। पंचायत चुनाव में पार्टी की सक्रियता ने इस बात की पुष्टि की थी। विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी काफी ऐक्टिव रही। अब निकाय चुनाव में उतरने के लिए पार्टी कमर कस रही है। इसके लिए वह आरएसएस की ही तर्ज पर वार्ड स्तर तक पर ऐसा प्लैटफॉर्म तैयार करना चाहती है, जहां पार्टी के कार्यकर्ता एक साथ मिलें और संगठन की विचारधारा और संदेश के विस्तार के लिए रणनीतियां बना सकें।
पंजाब, दिल्ली या गुजरात के जिन चुनावों में आम आदमी पार्टी को सफलता मिली है, उससे यह बात साफ है कि आप सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को पहुंचा रही है। कांग्रेस के असंतुष्ट वोटर ही आप के नए वोटर बताए जा रहे हैं। ऐसे में पार्टी बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की स्थापित जमीन पर जगह बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। हालांकि, अपनी इस प्लानिंग में वह बीजेपी और संघ के उन तौर-तरीकों से भी बिल्कुल परहेज नहीं कर रही है, जो पंथ निरपेक्षता के नाम पर कथित तौर पर कांग्रेस अपने अनुकूल नहीं मानती थी।
यही कारण है कि आम आदमी पार्टी की योजनाओं और परियोजनाओं में भी 'राष्ट्रवादी' विषय आते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाशती अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी तिरंगा शाखाओं की शुरुआत करने वाली है। इसके जरिए पार्टी उत्तर प्रदेश में वार्ड स्तर पर संगठन को मजबूत करने की कोशिश करेगी। आने वाले नगर निकाय चुनाव में भी पार्टी के चुनाव लड़ने की प्रबल संभावनाएं हैं। ऐसे में निकाय चुनाव में अपनी सियासी जमीन को पुख्ता करने में ये तिरंगा शाखाएं उसकी मदद कर सकती हैं।
1 जुलाई से शुरू होंगी तिरंगा शाखाएं
आप आगामी 1 जुलाई से यूपी में 10 हजार तिरंगा शाखाओं की शुरुआत करेगी। आने वाले 6 महीने में इन शाखाओं का गठन किया जाएगा। यूपी प्रभारी और सांसद संजय सिंह (aap mp sanjay singh) ने बताया है कि पार्टी यूपी के सभी वार्डों में सभी चेयरमैन और मेयर के पद पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। संगठन को मजबूत करने के लिए 30 घरों पर एक मोहल्ला प्रभारी बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि पार्टी उत्तर प्रदेश में तिरंगा शाखाओं का निर्माण करेगी।
संघ की शाखा बनाम तिरंगा शाखा
शाखा संघ की सबसे छोटी इकाई मानी जाती है, जहां स्वयंसेवक इकट्ठे होकर आत्म प्रशिक्षण का अभ्यास करते हैं। साथ ही एक साथ मिलकर प्रार्थना करते हैं। आमतौर पर शाखाओं की शुरुआत भगवा ध्वज के आरोहण से शुरू होती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की तिरंगा शाखा को आरएसएस की ही शाखाओं के बरअक्स देखा जा रहा है। आप नेता संजय सिंह के उस बयान पर गौर करें, जिसमें उन्होंने अपनी तिरंगा शाखाओं के मकसद के बारे में बताया है, तो उनकी मंशा बहुत कुछ साफ हो जाती है।
संजय सिंह ने कहा, 'बाबा साहब भीम राम अंबेडकर के बनाए गए संविधान के लिए, भारत माता की आन बान और शान के लिए गर्व से तिरंगा हम लोग लहराते हैं। उस तिरंगे की आन बान शान के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में पार्टी तिरंगा शाखाओं का निर्माण करेंगी।' उन्होंने आगे कहा कि इनके माध्यम से हम उत्तर प्रदेश और भारत की जनता को संदेश देना चाहते हैं कि हर भारतीय की पहचान तिरंगा निशान। भारत का संविधान।
जाहिर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में तिरंगे की जगह भगवा ध्वज का लगाया जाता है। आप शायद यही मुद्दा खासतौर पर उठाना चाहती है। तिरंगा शाखाओं के जरिए उसकी कोशिश 'संघ का भगवा ध्वज' बनाम 'भारत का तिरंगा ध्वज' करके सियासी लाभ लेने की लगती है। बीजेपी और संघ पर विपक्षी दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि दोनों संगठनों की निष्ठा भारत के तिरंगा ध्वज से ज्यादा भगवा ध्वज में है। ऐसे में तिरंगा शाखाओं की शुरुआत कर आम आदमी पार्टी शायद संघ को सीधे निशाने पर लेने की फिराक में है, ताकि उसकी राजनैतिक ईकाई बीजेपी का प्रभाव कम किया जा सके।
निकाय चुनाव में AAP
इसके अलावा आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी गहरी पैठ बनाने की कोशिश में है। पंचायत चुनाव में पार्टी की सक्रियता ने इस बात की पुष्टि की थी। विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी काफी ऐक्टिव रही। अब निकाय चुनाव में उतरने के लिए पार्टी कमर कस रही है। इसके लिए वह आरएसएस की ही तर्ज पर वार्ड स्तर तक पर ऐसा प्लैटफॉर्म तैयार करना चाहती है, जहां पार्टी के कार्यकर्ता एक साथ मिलें और संगठन की विचारधारा और संदेश के विस्तार के लिए रणनीतियां बना सकें।
पंजाब, दिल्ली या गुजरात के जिन चुनावों में आम आदमी पार्टी को सफलता मिली है, उससे यह बात साफ है कि आप सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को पहुंचा रही है। कांग्रेस के असंतुष्ट वोटर ही आप के नए वोटर बताए जा रहे हैं। ऐसे में पार्टी बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की स्थापित जमीन पर जगह बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। हालांकि, अपनी इस प्लानिंग में वह बीजेपी और संघ के उन तौर-तरीकों से भी बिल्कुल परहेज नहीं कर रही है, जो पंथ निरपेक्षता के नाम पर कथित तौर पर कांग्रेस अपने अनुकूल नहीं मानती थी।