लखनऊ
भतीजे अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के ठंडे पड़ चुके रिश्तों में फिर से एक बार गर्मी आती दिख रही हैं। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी चाचा शिवपाल यादव से यूपी में 2022 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के सिलसिले में फोन पर बात हुई है। इससे लगभग एक सप्ताह पहले शिवपाल यादव ने अफसोस जताया था कि सीएम योगी तो उनका फोन उठा लेते हैं लेकिन भतीजे अखिलेश के पास इतनी भी फुर्सत नहीं। मैनपुरी में मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह सवाल उठा था कि क्या वह आगामी चुनावों में शिवपाल यादव से हाथ मिला सकते हैं। इस पर अखिलेश बोले, 'वह एक पार्टी के मुखिया हैं। हम उनकी पार्टी के लिए जगह बनाएंगे। उनको हम पूरा सम्मान देंगे।' लेकिन सबसे ज्यादा लोगों को उनके उस बयान से हैरानी हुई जिसमें उन्होंने कहा, 'बातचीत फोन पर हुई है।'
लखनऊ में जताया था अफसोस
असल में 27 अगस्त को लखनऊ में अखिलेश के साथ अपने रिश्तों पर शिवपाल ने कहा था, 'मुख्यमंत्री योगी तो फोन पर आ जाते हैं लेकिन भतीजे नहीं आते हैं फोन पर... ये मुझे दुख है... ये मुझे अफसोस है।'
विलय की संभावना से इनकार
हालांकि पार्टी सूत्रों ने दोनों दलों के विलय की संभावना से इनकार किया है। फिर भी यह कहा जा रहा है कि सद्भावना के तौर पर अगर अखिलेश प्रस्ताव रखते हैं तो शिवपाल यादव की पार्टी अपने कुछ उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के निशान तले चुनावी मैदान में खड़ा कर सकती है।
एक दूसरे सूत्र का कहना था, 'अभी तक इस मसले पर कोई विचार नहीं हुआ है। लेकिन इससे पहले ऐसे उदाहरण रहे हैं जहां सहयोगी दलों के उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के टिकट और चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे हैं। आने वाले चुनावों में भी ऐसा देखने को मिल सकता है।
भतीजे अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के ठंडे पड़ चुके रिश्तों में फिर से एक बार गर्मी आती दिख रही हैं। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी चाचा शिवपाल यादव से यूपी में 2022 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के सिलसिले में फोन पर बात हुई है। इससे लगभग एक सप्ताह पहले शिवपाल यादव ने अफसोस जताया था कि सीएम योगी तो उनका फोन उठा लेते हैं लेकिन भतीजे अखिलेश के पास इतनी भी फुर्सत नहीं।
लखनऊ में जताया था अफसोस
असल में 27 अगस्त को लखनऊ में अखिलेश के साथ अपने रिश्तों पर शिवपाल ने कहा था, 'मुख्यमंत्री योगी तो फोन पर आ जाते हैं लेकिन भतीजे नहीं आते हैं फोन पर... ये मुझे दुख है... ये मुझे अफसोस है।'
विलय की संभावना से इनकार
हालांकि पार्टी सूत्रों ने दोनों दलों के विलय की संभावना से इनकार किया है। फिर भी यह कहा जा रहा है कि सद्भावना के तौर पर अगर अखिलेश प्रस्ताव रखते हैं तो शिवपाल यादव की पार्टी अपने कुछ उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के निशान तले चुनावी मैदान में खड़ा कर सकती है।
एक दूसरे सूत्र का कहना था, 'अभी तक इस मसले पर कोई विचार नहीं हुआ है। लेकिन इससे पहले ऐसे उदाहरण रहे हैं जहां सहयोगी दलों के उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के टिकट और चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे हैं। आने वाले चुनावों में भी ऐसा देखने को मिल सकता है।