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एटीएम खाली होने पर बोले अखिलेश यादव, 'कहीं यह अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं?'

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि एटीएम में नोट न होना किसी बड़ी साजिश का संकेत है। उन्होंने कहा, 'केन्द्र के इशारे पर कहीं नोटों की जमाखोरी तो नहीं हो रही है? यदि कैश नहीं होगा तो व्यापार ठप्प हो जाएगा। अगर नोटों की जमाखोरी हो रही है तो सरकार क्या कर रही है?'

नवभारतटाइम्स.कॉम 18 Apr 2018, 8:49 pm
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम akhilesh
फाइल फोटो: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि एटीएम में नोट न होना किसी बड़ी साजिश का संकेत है। उन्होंने कहा, 'केन्द्र के इशारे पर कहीं नोटों की जमाखोरी तो नहीं हो रही है? यदि कैश नहीं होगा तो व्यापार ठप्प हो जाएगा। अगर नोटों की जमाखोरी हो रही है तो सरकार क्या कर रही है?'

पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने कहा, 'कैशलेस अर्थव्यवस्था की वकालत करने वाली केन्द्र सरकार को यह बताना चाहिए कि नोट छपवाने का कागज विदेश से मंगाया जाता है और पर्याप्त संख्या में नोट भी छपवाए गए, ऐसे में सवाल यह उठता है कि नोट गायब कहां हो गए? यह एक अन्तर्राष्ट्रीय षड्यंत्र हो सकता है। पिछले साल हुए नोटबंदी से किसानों और गरीबों का बहुत नुकसान हुआ। समाज का हर वर्ग इस फैसले से परेशान है। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इसे अपनी उपलब्धि बताती है। बीजेपी के शासनकाल की जनविरोधी नीतियों से जनता में भारी आक्रोश एवं असंतोष है।

अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। लूट-हत्या-बलात्कार की घटनाओं से जनता बुरी तरह डरी हुई है। छोटी-छोटी बच्चियों से बलात्कार थम नहीं रहे हैं। सत्तारूढ़ दल के नेता और विधायकों को कानून की परवाह नहीं है। बीजेपी के नेताओं की अपराधों में संलिप्तता से अराजकता व्याप्त हो गई है।

अखिलेश ने यह भी कहा, 'कानून का राज अगर नहीं है तो राज्य सरकार इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है। नौजवानों की बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने की दिशा में केन्द्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार का रवैया उदासीन है। किसान और बेरोजगार नौजवान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। शिक्षामित्रों द्वारा आत्महत्या की संख्या पांच सौ से ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि महामहिम राज्यपाल जी को देखना चाहिए कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार चल भी रही है अथवा नहीं?

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