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विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए 'लिटमस टेस्ट' होगा पंचायत चुनाव.. 'नतीजे बताएंगे कितने पानी में है कांग्रेस'

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी प्रदेश के आगामी पंचायत चुनाव के जरिए साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का आकलन करके सामने आने वाली कमियों को दूर करेगी।

भाषा 20 Jan 2021, 9:10 pm
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम अजय कुमार लल्लू
अजय कुमार लल्लू

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों को प्रदेश कांग्रेस अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिटमस टेस्ट के तौर पर देख रही है। पार्टी पंचायत चुनाव के जरिए ही साल 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी को तैयार करने के प्लान पर काम कर रही है। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उनकी पार्टी आगामी मार्च-अप्रैल में संभावित पंचायत चुनाव को साल 2022 के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी का जायजा लेने के बेहतरीन मौके के तौर पर देख रही है।

लल्लू ने कहा, 'पंचायत चुनावों से यह जाहिर हो जाएगा कि हम कितने पानी में हैं और अगले विधानसभा चुनाव के लिए हमें और कितने प्रयास करने होंगे।' लल्लू ने कहा कि ग्रामीण इलाकों तक पहुंच बनाने के लिए पार्टी ने संगठन सृजन अभियान शुरू किया है। इसके तहत अब तक प्रदेश की 61% ग्राम पंचायतों में संगठन तैयार कर लिया गया है। इस माह के अंत तक बाकी ग्राम पंचायतों में भी काम पूरा कर लिया जाएगा।

बड़े बदलाव की उम्मीद
उन्होंने दावा किया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों से पार्टी को बहुत उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने तीन नए कृषि कानूनों के मामले में भाजपा सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक किसानों के हित में ईमानदारी से नीतियां नहीं बनेंगी तब तक उनकी दशा ठीक नहीं की जा सकती।

कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों की भागीदारी अपेक्षित हद तक नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'बिहार और पूर्वांचल के ज्यादातर किसान दरअसल किसान नहीं बल्कि मजदूर हैं, जो खुद उगाते, खुद काटते, खुद ही खाते हैं और बची खुची फसल बेच देते हैं। पंजाब और हरियाणा में मंडियां हैं नए कृषि कानूनों से मंडियां समाप्त हो जाएंगी जिसका भारी नुकसान वहां के किसानों को होगा। यही वजह है कि आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के किसानों की ज्यादा भागीदारी दिखाई दे रही है।'

हालांकि उन्होंने दावा किया कि संगठन सृजन अभियान के तहत अब तक प्रदेश के 65 जिलों के ग्रामीण इलाकों में किए गए भ्रमण के दौरान किसानों से बातचीत में उन्हें एहसास हुआ कि नए कृषि कानूनों को लेकर कृषकों में जबरदस्त गुस्सा व्याप्त है और वे समय आने पर भाजपा सरकार को सबक सिखाने के लिए बेताब हैं।

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