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यूपी निकाय चुनाव : 'बल्ब' की रोशनी से प्रचार, जला रहे वोटरों के दिमाग की 'बत्ती'

चिनहट वॉर्ड से पार्षद रहे दिनेश यादव पत्नी रिंकी यादव को चिनहट द्वितीय से निर्दल उम्मीदवार के तौर पर लड़ा रहे हैं। पत्नी को चुनाव जलता हुआ बल्ब ...

नवभारत टाइम्स 23 Nov 2017, 3:32 pm
अंकुश त्रिपाठी, लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम तराजू और बल्ब है चुनाव चिन्ह
तराजू और बल्ब है चुनाव चिन्ह

नगर निगम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार निशान की पहचान जताने के लिए निशान लेकर जनता के बीच उतरे हुए हैं। ज्यादातर क्षेत्रों में लोगों के बीच आवंटित चुनाव चिह्न के साथ ही दौड़ लगा रहे हैं। कुछ तो ईवीएम का प्रतिरूप बनाकर अपने सीरियल नंबर भी बताने में लगे हैं। लोगों को जो परचे बांटे जा रहे हैं उनमें चुनाव निशान के साथ ही बड़ा-बड़ा सीरियल नंबर भी छपवाया है, जिससे अगर चुनाव निशान ध्यान न रहे तो सीरियल नंबर वाला बटन दबाकर उन्हें वोट दे दें।

केस-1
चिनहट वॉर्ड से पार्षद रहे दिनेश यादव पत्नी रिंकी यादव को चिनहट द्वितीय से निर्दल उम्मीदवार के तौर पर लड़ा रहे हैं। पत्नी को चुनाव जलता हुआ बल्ब चुनाव निशान के तौर पर मिला है। उनकी टीम बाकायदा बल्ब जलाकर प्रचार कर रही है। रात में बल्ब जलाकर लोगों से वोट मांगे जा रहे हैं।

केस-2
राजाजीपुरम से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे निवर्तमान पार्षद जितेंद्र उपाध्याय 'मिंटू' को तराजू निशान मिला है। तराजू लेकर वह जनता के बीच वोट मांग रहे हैं। जितेंद्र का कहना है कि बीजेपी ने टिकट काटा है। वह जनता के बीच तराजू लेकर उतरे हैं। अब आगे जनता ही न्याय करेगी।

मोटरसाइकिल बना चुनाव चिन्ह


केस-3
पेपर मिल कॉलोनी से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शैलेंद्र द्विवेदी को निशान के तौर पर मोटर साइकल अलॉट हुआ है। शैलेंद्र ने अपनी छत पर बाइक बांध रखी है। यही नहीं चुनाव प्रचार के लिए वह बाइक से ही निकलते हैं। जिससे लोगों को उनका चुनाव निशान याद रहे।

छाता लेकर प्रचार किया

केस-4
इस्माईलगंज द्वितीय वॉर्ड से एसपी से टिकट मिलने के बाद फिर कटने पर समीर पाल सोनू निर्दलीय ही मैदान में उतर गए। चुनाव में चुनाव चिह्न छाता मिला तो अब जनता के बीच छाता लेकर ही जा रहे हैं। वह वोटरों से कह रहे है कि अब छाता ही लोगों की छांव बनेगा।

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चुनाव में 700 निर्दलीय उम्मीदवार
नगर निगम चुनाव में 110 वॉर्डों में करीब 700 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इन्हें कप-प्लेट, चारपाई, उगता सूरज, मोटरसाइकल, कार, हल जोतता किसान, टेलिविजन, ई-रिक्शा, जलता हुआ बल्ब, चश्मा, कंघी, पंखा, छाता, पेड़, हथौड़ा, स्कूटर, हेलिकॉप्टर, रेलगाड़ी, नल की टोंटी समेत कई चिह्ल दिए गए हैं। उम्मीदवार सुविधा के अनुसार प्रदर्शित करने वाले निशान लेकर प्रचार कर रहे हैं।

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तो याद रहेगा निशान
पार्षद प्रत्याशी रिंकी यादव के मुताबिक जलता हुआ बल्ब देखकर लोग जान जाते हैं कि वह वोट मांगने आ रही हैं। शैलेंद्र के मुताबिक छत पर बाइक देखकर लोग समझ जाते हैं कि यह मेरा घर है। हजरतगंज-नरही से चुनाव लड़ रहे सुजीत कुमार कुक्कू भी बाइक सजाकर लोगों के बीच वोट मांग रहे हैं। लोगों से वह कहते हैं कि उन्हें मोटर साइकल मिली है। मौका मिला तो पांच साल इसी से सेवा करेंगे। विद्यावती तृतीय-वॉर्ड से दावेदरी कर रहे कमलेश सिंह भी रात के समय जलता हुआ बल्ब लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। वहीं समीर पाल कहते हैं कि चुनाव निशान याद रहेगा तो वह भी याद रहेंगे। मशीन में उनकी फोटो नहीं रहेगी। ऐसे में चुनाव चिह्न और निशान बहुत जरूरी है।
एलयू में मास कॉम डिपार्टमेंट के हेड डॉ. मुकुल श्रीवास्तव बताते हैं, 'चुनाव में ज्यादातर निर्दलीय उम्मीदवार ऐसे निशान ही मांगते हैं, जिनका वह जनता के बीच प्रदर्शन कर सकें। इससे वह अपने आपको निशान से जोड़ पाते हैं और उनका समर्थन करने वाली जनता उन्हें वोट कर पाती है। यह संवाद का बेहतर तरीका है।'

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