लखनऊ
यूपी की जिस 10वीं राज्यसभा सीट पर सबसे ज्यादा राजनीतिक उठापटक हुई, उस पर आखिरी बाजी अनिल अग्रवाल के हाथ लगी। 12 मार्च को जब अनिल अग्रवाल अपना पर्चा दाखिल करने पहुंचे तो उनके साथ बीजेपी का कोई बड़ा नेता नहीं था लेकिन थोड़ी ही देर में उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय वहां पहुंचे और घोषणा की कि अनिल अग्रवाल बीजेपी के 9वें उम्मीदवार होंगे।
बता दें कि आठ उम्मीदवारों के लिए पर्याप्त वोटों के बाद भी 28 वोट बच रहे थे, ऐसे में विपक्ष को चुनौती देने के लिए भाजपा ने अनिल अग्रवाल के रूप में नया दांव खेल दिया। ऐसे में सपा, बसपा, राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस के समर्थन से राज्यसभा जाने की सोच रहे बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर के लिए यह राह कठिन हो गई। अनिल अग्रवाल ने भी पर्चा दाखिल करने के बाद कहा कि वह विपक्षी पार्टियों से भी समर्थन की उम्मीद रखते हैं।
चर्चित बिजनसमैन और गाजियाबाद-मेरठ में प्रफेशनल इंस्टिट्यूट चेन के मालिक अनिल अग्रवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। राजनीतिक परिवार से भी उनका रिश्ता जुड़ा क्योंकि उनकी शादी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दासी की नातिन से हुई। इससे पहले शिक्षकों वाली सीट से विधान परिषद का चुनाव लड़े थे लेकिन मामूली अंतर से हार गए थे।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अनिल अग्रवाल की जीत से भाजपा बनिया समुदाय और व्यापारियों के बीच अपनी पकड़ और मजबूत कर पाएगी और जीएसटी-विमुद्रीकरण से नाराज चल रहे इस वर्ग को मनाने में भी थोड़ी-बहुत मदद मिलेगी। इसके अलावा अनिल अग्रवाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी को और मजबूत कर पाएंगे।
यूपी की जिस 10वीं राज्यसभा सीट पर सबसे ज्यादा राजनीतिक उठापटक हुई, उस पर आखिरी बाजी अनिल अग्रवाल के हाथ लगी। 12 मार्च को जब अनिल अग्रवाल अपना पर्चा दाखिल करने पहुंचे तो उनके साथ बीजेपी का कोई बड़ा नेता नहीं था लेकिन थोड़ी ही देर में उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय वहां पहुंचे और घोषणा की कि अनिल अग्रवाल बीजेपी के 9वें उम्मीदवार होंगे।
बता दें कि आठ उम्मीदवारों के लिए पर्याप्त वोटों के बाद भी 28 वोट बच रहे थे, ऐसे में विपक्ष को चुनौती देने के लिए भाजपा ने अनिल अग्रवाल के रूप में नया दांव खेल दिया। ऐसे में सपा, बसपा, राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस के समर्थन से राज्यसभा जाने की सोच रहे बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर के लिए यह राह कठिन हो गई। अनिल अग्रवाल ने भी पर्चा दाखिल करने के बाद कहा कि वह विपक्षी पार्टियों से भी समर्थन की उम्मीद रखते हैं।
चर्चित बिजनसमैन और गाजियाबाद-मेरठ में प्रफेशनल इंस्टिट्यूट चेन के मालिक अनिल अग्रवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। राजनीतिक परिवार से भी उनका रिश्ता जुड़ा क्योंकि उनकी शादी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दासी की नातिन से हुई। इससे पहले शिक्षकों वाली सीट से विधान परिषद का चुनाव लड़े थे लेकिन मामूली अंतर से हार गए थे।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अनिल अग्रवाल की जीत से भाजपा बनिया समुदाय और व्यापारियों के बीच अपनी पकड़ और मजबूत कर पाएगी और जीएसटी-विमुद्रीकरण से नाराज चल रहे इस वर्ग को मनाने में भी थोड़ी-बहुत मदद मिलेगी। इसके अलावा अनिल अग्रवाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी को और मजबूत कर पाएंगे।