लखनऊ: इस बंपर जीत की उम्मीद तो बीजेपी को भी नहीं होगी। आजमगढ़ (Azamgarh Lok Sabha Result 2022) और रामपुर (Rampur Election Result 2022) लोकसभा उपचुनाव (UP By Election Result) के नतीजे ने समाजवादी पार्टी (एसपी) को जोर का झटका दिया है। एसपी मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अपने अति आत्मविश्वास और बीजेपी की मजबूत किलेबंदी के आगे हार गए। इन नतीजों से एसपी को एक और घाव दे दिया है। आजमगढ़ और रामपुर में मुस्लिम वोटर्स की नाराजगी पार्टी से कम नहीं हुई है। नतीजे में इसका असर साफ दिख रहा है। इन नतीजों के बाद एसपी खेमे में मायूसी साफ देखी जा रही है। वहीं, बीजेपी इसे 2024 लोकसभा चुनाव से पहले का ट्रेलर बता दिया है। मुस्लिम वोटर्स एसपी से छिटके
रामपुर में 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है। वहीं, आजमगढ़ में मुस्लिम (23%) और यादव (27%) मिलकर जीत का समीकरण बनाते हैं लेकिन यहां भी मुस्लिम वोटर्स ने कम से कम एसपी का पूरे मन से साथ नहीं दिया। यहां बीजेपी के दिनेश लाल निरहुआ ने एसपी के धर्मेंद्र यादव को 8 हजार से ज्यादा मतों से मात दी। निरहुआ को 34.37 फीसदी वोट मिले जबकि धर्मेंद्र 33 प्रतिशत वोट ही पा सके। रोचक बात ये है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से अखिलेश यादव ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में अखिलेश को 60 प्रतिशत मत मिले थे जबकि निरहुआ को 35 प्रतिशत वोट ही मिले थे। सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे तो रामपुर के रहे। आजम खान के इस मजबूत गढ़ में बीजेपी ने जोरदार जीत दर्ज की। एसपी से बीजेपी में आए में घनाश्याम लोधी को 52 फीसदी मत मिले और उन्होंने आजम के करीबी आसिम रजा को 42 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी। इन दोनों लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जहां हिंदुओं के वोट को अपने पाले में करने में सफल रही बल्कि रामपुर में तो कुछ मुस्लिम वोटर भी भगवा दल की तरफ आए हैं।
भगवा लहर या योगी के नाम-काम पर जीत?
आजमगढ़ और रामपुर में बीजेपी की जीत का श्रेय बीजेपी की मजबूत किलेबंदी को जाती है। पार्टी ने जहां अपने वोटर्स को अपने पाले में रखने में कामयाबी पाई वहीं, विपक्ष के वोटों में सेंध भी लगाई। चूंकि राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार है तो लोगों को उनकी सख्त छवि और माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर अभियान का फायदा भी बीजेपी कैंडिडेट्स को मिला। अखिलेश जहां आजमगढ़ और रामपुर में झांकने तक नहीं गए वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन दोनों क्षेत्रों में प्रचार किया। पार्टी के सभी दिग्गजों ने पूरी ताकत झोंक दी थी।
अखिलेश का अति आत्मविश्वास ले डूबा?
अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और रामपुर में प्रत्याशियों की घोषणा तक में देरी की थी। अखिलेश ने आजमगढ़ में अपने चचेरे भाई के नाम की घोषणा तो नामांकन के आखिरी वक्त में की थी। सबसे बड़ा सवाल तो अखिलेश के इन सीटों पर चुनाव प्रचार नहीं करने को लेकर है। पार्टी के सूत्रों ने अखिलेश के प्रचार नहीं करने को लेकर ये दलील दी कि बहुजम समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती भी आजमगढ़ में प्रचाार करने नहीं गईं। विश्लेषकों का कहना है कि आजमगढ़ कभी भी बीएसपी का मजबूत गढ़ नहीं रहा है। ऐसे में अखिलेश की मायवती से तुलना बेमानी है। इस सीट पर 2014 में मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी जबकि अखिलेश ने 2019 में यहां से मुकाबला जीता था। तो ऐसी क्या बात हुई कि अखिलेश यहां प्रचार करने नहीं आए? कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ये हार अखिलेश के अति आत्मविश्वास का परिणाम है।
मोदी-योगी चेहरे के सामने सब ध्वस्त!
दरअसल, इन चुनावों में एसपी को अपने मुस्लिम-यादव गठजोड़ पर काफी भरोसा था। दोनों ही सीटों पर मुस्लिम-यादव समीकरण पार्टी को जिताते रहे हैं। लेकिन चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, यहां सब समीकरण मोदी-योगी के आगे ढेर हो गए। एसपी सूत्रों ने एक और दलील दी कि अखिलेश ने 2018 में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं किया था और पार्टी ने यहां जीत दर्ज की थी। लेकिन, आजमगढ़ और रामपुर की हार एसपी को सालने वाली है।
तो क्या रामपुर में आजम के किले में आ गई दरार?
रामपुर लोकसभा सीट पर यूपी में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं। यहां पर एसपी ने पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान पर एसपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी छोड़ दी थी। यहां पार्टी के कैंडिडेट से लेकर चुनाव अभियान तक की जिम्मेदारी आजम पर छोड़ दी गई थी। आजम ने यहां जमकर प्रचार किया और दर्जनों रैलियां कीं। उन्होंने रैलियों में पिछले दो सालों में जेल में बिताए अपने दिनों को मौजूदा सरकार की देन बताया था। लेकिन यहां आजम का कोई दांव नहीं चल पाया। बीजेपी के लोधी ने यहां बड़ी जीत दर्ज की। दरअसल, रामपुर में हिंदू वोटर्स पूरी तरह से बीजेपी के साथ जुड़ गई। यहां वोटों का बिखराव न होना और बीजेपी की मजबूत रणनीति ने पार्टी को जीत दिला दी।
बीएसपी ने एसपी का कर दिया खेला खराब?
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर बीएसपी ने लोकल नेता गुड्डू जमाली (Guddu Jamali) को उतारकर मुस्लिम वोटों में सेंध लगा दी। बीएसपी के दांव के कारण एसपी की जीत बेहद मुश्किल हो गई। यहां पर AIMIM और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बीएसपी उम्मीदवार का समर्थन किया था। ऐसे में मुस्लिम वोटर्स एसपी की जगह बीसएपी की तरफ गए।
2024 लोकसभा चुनाव से पहले का ट्रेलर?
सीएम योगी ने कहा कि इस जीत ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश दिया है। जीत के बाद पार्टी ऑफिस पहुंचे योगी ने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर जैसी सीट पर जीत ने साफ संदेश दे दिया कि 2024 में बीजेपी सभी 80 लोकसभा सीटें जीतेगी।
रामपुर में 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है। वहीं, आजमगढ़ में मुस्लिम (23%) और यादव (27%) मिलकर जीत का समीकरण बनाते हैं लेकिन यहां भी मुस्लिम वोटर्स ने कम से कम एसपी का पूरे मन से साथ नहीं दिया। यहां बीजेपी के दिनेश लाल निरहुआ ने एसपी के धर्मेंद्र यादव को 8 हजार से ज्यादा मतों से मात दी। निरहुआ को 34.37 फीसदी वोट मिले जबकि धर्मेंद्र 33 प्रतिशत वोट ही पा सके। रोचक बात ये है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से अखिलेश यादव ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में अखिलेश को 60 प्रतिशत मत मिले थे जबकि निरहुआ को 35 प्रतिशत वोट ही मिले थे। सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे तो रामपुर के रहे। आजम खान के इस मजबूत गढ़ में बीजेपी ने जोरदार जीत दर्ज की। एसपी से बीजेपी में आए में घनाश्याम लोधी को 52 फीसदी मत मिले और उन्होंने आजम के करीबी आसिम रजा को 42 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी। इन दोनों लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जहां हिंदुओं के वोट को अपने पाले में करने में सफल रही बल्कि रामपुर में तो कुछ मुस्लिम वोटर भी भगवा दल की तरफ आए हैं।
भगवा लहर या योगी के नाम-काम पर जीत?
आजमगढ़ और रामपुर में बीजेपी की जीत का श्रेय बीजेपी की मजबूत किलेबंदी को जाती है। पार्टी ने जहां अपने वोटर्स को अपने पाले में रखने में कामयाबी पाई वहीं, विपक्ष के वोटों में सेंध भी लगाई। चूंकि राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार है तो लोगों को उनकी सख्त छवि और माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर अभियान का फायदा भी बीजेपी कैंडिडेट्स को मिला। अखिलेश जहां आजमगढ़ और रामपुर में झांकने तक नहीं गए वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन दोनों क्षेत्रों में प्रचार किया। पार्टी के सभी दिग्गजों ने पूरी ताकत झोंक दी थी।
अखिलेश का अति आत्मविश्वास ले डूबा?
अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और रामपुर में प्रत्याशियों की घोषणा तक में देरी की थी। अखिलेश ने आजमगढ़ में अपने चचेरे भाई के नाम की घोषणा तो नामांकन के आखिरी वक्त में की थी। सबसे बड़ा सवाल तो अखिलेश के इन सीटों पर चुनाव प्रचार नहीं करने को लेकर है। पार्टी के सूत्रों ने अखिलेश के प्रचार नहीं करने को लेकर ये दलील दी कि बहुजम समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती भी आजमगढ़ में प्रचाार करने नहीं गईं। विश्लेषकों का कहना है कि आजमगढ़ कभी भी बीएसपी का मजबूत गढ़ नहीं रहा है। ऐसे में अखिलेश की मायवती से तुलना बेमानी है। इस सीट पर 2014 में मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी जबकि अखिलेश ने 2019 में यहां से मुकाबला जीता था। तो ऐसी क्या बात हुई कि अखिलेश यहां प्रचार करने नहीं आए? कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ये हार अखिलेश के अति आत्मविश्वास का परिणाम है।
मोदी-योगी चेहरे के सामने सब ध्वस्त!
दरअसल, इन चुनावों में एसपी को अपने मुस्लिम-यादव गठजोड़ पर काफी भरोसा था। दोनों ही सीटों पर मुस्लिम-यादव समीकरण पार्टी को जिताते रहे हैं। लेकिन चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, यहां सब समीकरण मोदी-योगी के आगे ढेर हो गए। एसपी सूत्रों ने एक और दलील दी कि अखिलेश ने 2018 में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं किया था और पार्टी ने यहां जीत दर्ज की थी। लेकिन, आजमगढ़ और रामपुर की हार एसपी को सालने वाली है।
तो क्या रामपुर में आजम के किले में आ गई दरार?
रामपुर लोकसभा सीट पर यूपी में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं। यहां पर एसपी ने पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान पर एसपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी छोड़ दी थी। यहां पार्टी के कैंडिडेट से लेकर चुनाव अभियान तक की जिम्मेदारी आजम पर छोड़ दी गई थी। आजम ने यहां जमकर प्रचार किया और दर्जनों रैलियां कीं। उन्होंने रैलियों में पिछले दो सालों में जेल में बिताए अपने दिनों को मौजूदा सरकार की देन बताया था। लेकिन यहां आजम का कोई दांव नहीं चल पाया। बीजेपी के लोधी ने यहां बड़ी जीत दर्ज की। दरअसल, रामपुर में हिंदू वोटर्स पूरी तरह से बीजेपी के साथ जुड़ गई। यहां वोटों का बिखराव न होना और बीजेपी की मजबूत रणनीति ने पार्टी को जीत दिला दी।
बीएसपी ने एसपी का कर दिया खेला खराब?
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर बीएसपी ने लोकल नेता गुड्डू जमाली (Guddu Jamali) को उतारकर मुस्लिम वोटों में सेंध लगा दी। बीएसपी के दांव के कारण एसपी की जीत बेहद मुश्किल हो गई। यहां पर AIMIM और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बीएसपी उम्मीदवार का समर्थन किया था। ऐसे में मुस्लिम वोटर्स एसपी की जगह बीसएपी की तरफ गए।
2024 लोकसभा चुनाव से पहले का ट्रेलर?
सीएम योगी ने कहा कि इस जीत ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश दिया है। जीत के बाद पार्टी ऑफिस पहुंचे योगी ने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर जैसी सीट पर जीत ने साफ संदेश दे दिया कि 2024 में बीजेपी सभी 80 लोकसभा सीटें जीतेगी।