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जांच की आंच में माया को तपाएंगे नसीमुद्दीन!

पार्टी के टिकट बेचने और चंदे के हिसाब का टेप उजागर करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती के लिए कदम-कदम पर खतरा बन सकते हैं। खासतौर से मायावती और बीएसपी शासन में हुए घोटालों की जांच में वह कई राज खोल सकते हैं...

दीप सिंह | नवभारत टाइम्स 14 May 2017, 1:56 am

लखनऊ

नवभारतटाइम्स.कॉम naseemuddin may reveal some secrets of mayawati
जांच की आंच में माया को तपाएंगे नसीमुद्दीन!

पार्टी के टिकट बेचने और चंदे के हिसाब का टेप उजागर करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती के लिए कदम-कदम पर खतरा बन सकते हैं। खासतौर से मायावती और बीएसपी शासन में हुए घोटालों की जांच में वह कई राज खोल सकते हैं। खुद को बचाने के लिए वह सभी मामलों में मायावती को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश करेंगे। पार्टी से अलग होने के बाद जिस तरह उन्होंने पार्टी के टिकट बेचने के लिए मजबूर करने और दया शंकर सिंह के परिवार को अपशब्द कहने के मामले में उन्होंने मायावती को जिम्मेदार बताया है, उससे यह साफ हो गया है।

चुनाव से पहले तक थे बड़े राजदार

नसीमुद्दीन सिद्दीकी लंबे समय से मायावती के सबसे करीबी रहे हैं। पार्टी और अपनी सरकारों में मायावती ने उनको अहम जिम्मेदारियां दीं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, टिकट वितरण से लेकर किसी को पार्टी में शामिल करने और निकालने में वह नसीमुद्दीन की राय पर ही काम करती थीं। इस विधान सभा चुनाव में तो लगभग 100 मुसलमानों को टिकट देने, मौलानाओं से पार्टी के पक्ष में अपील करवाने तक का जिम्मा उनको ही दिया गया था। चुनाव से पहले जिन्होंने पार्टी छोड़ी, उनमें से ज्यादातर ने मायावती के साथ नसीमुद्दीन के जरिए पैसे मांगने के आरोप लगाए।

हार के बाद ही बढ़ने लगी दूरी

पार्टी की करारी हार के बाद नसीमुद्दीन जब प्रदेश के कई जिलों में मीटिंग करने पहुंचे तो वहां उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था। उनके सामने ही मीटिंग में धन उगाही के आरोप हारे हुए प्रत्याशियों ने लगाए थे। उन्हें मीटिंग छोड़कर भागना पड़ा था। यह सूचनाएं मिलने के बाद से ही मायावती और नसीमुद्दीन के बीच टिकटों के पैसे के हिसाब-किताब को लेकर दूरी बढ़ती गई। यही वजह है कि मायावती ने पार्टी के पुराने कैडर के दबाव में नसीमुद्दीन को बाहर का रास्ता दिखाया।

जांच के डर से किया किनारा

टिकट बिक्री के आरोप तो अब एक-दूसरे ने खुलकर लगाए हैं लेकिन बीजेपी सरकार बनने के बाद मायावती सरकार के घोटालों की जांच के आदेश हुए तभी से मायावती ने नसीमुद्दीन से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। खासतौर से चीनी मिल घोटाले और स्मारक घोटाले की जांच के मामले में तो मायावती ने मंच से ही नसीमुद्दीन का नाम ले लिया था। कांशीराम जयंती पर मायावती ने अपनी सफाई में कहा था कि बीजेपी वाले बार-बार यह मुद्दा उठाते हैं लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि चीनी मिल एवं गन्ना विकास और आवास विभागों के मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी थे।

ये घोटाले भी बन सकते हैं गले की फांस

चीनी मिल घोटाला

बीएसपी सरकार में 2010-11 में 21 सरकारी चीनी मिलें बेची गई थीं। चालू हालत वाली मिलों को बेचने के मामले में 1100 करोड़ का घोटाले का मामला उछला था। लोकायुक्त की रिपोर्ट पर अखिलेश सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। अब योगी सरकार बनने के बाद फिर से जांच के आदेश दिए गए हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा है कि जरूरत पड़ी तो सीबीआई जांच कराई जाएगी। नसीमुद्दीन का जांच के दायरे में आना तय है। वह सभी आरोप मायावती पर मढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

स्मारक घोटाला

मायावती शासन में बने स्मारकों के घोटाले की जांच अखिलेश सरकार में शुरू हुई थी। लोकायुक्त की जांच के बाद सरकार ने विजिलेंस को जांच सौंपी थी। इसमें नसीमुद्दीन समेत 19 के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। विजिलेंस ने कुछ के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। सभी मामलों में जांच अभी चल रही है।

ताज कॉरीडोर घोटाला

ताज कॉरीडोर मामले में भी मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी सह अभियुक्त हैं। यह मामला लंबे समय से सीबीआई में विचाराधीन है। इस मामले में भी मायावती सफाई दे चुकी हैं कि यह काम केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त कंपनी की ओर से किया गया था। बतौर मुख्यमंत्री वह इस कमिटी में पदेन शामिल थीं। यदि घोटाला हुआ तो उसके लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार जिम्मेदार है या संबंधित विभाग। मैंने उसमें कहीं हस्ताक्षर नहीं किए हैं। मायावती यह कहकर खुद को बचा रही हैं लेकिन इसमें सह अभियुक्त नसीमुद्दीन सिद्दीकी कई राज उगल सकते हैं।

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दीप सिंह

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