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गेस्ट हाउस कांड: मायवाती बोलीं-अभी नहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान ही केस लिया था वापस

1993 में एसपी-बीएसपी साथ चुनाव लड़े थे और तब इस गठबंधन ने अपनी सरकार भी बनाई थी। तत्कालीन एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव सीएम बने, लेकिन दो साल में ही इतनी खटास आ गई कि गठबंधन टूटने की नौबत आ गई।

नवभारतटाइम्स.कॉम 8 Nov 2019, 9:05 pm
लखनऊ
नवभारतटाइम्स.कॉम फाइल फोटो
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गेस्ट हाउस कांड में एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने के मामले में अब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सफाई दी है। मायावती ने ट्वीट के जरिए बताया कि यह केस लोकसभा चुनावों के दौरान 26 फरवरी को ही वापस ले लिया गया था। मायावती ने सफाई देते हुए कहा कि मीडिया में आ रही खबरों में हाल ही में केस वापल लिए जाने का जिक्र है जो कि गलत है।

बता दें कि हाल ही में ऐसी खबरें सामने आई हैं, जिसमें कहा गया कि मायावती ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा वापसी की अर्जी दी है। 2 जून 1995 को राजधानी के स्टेट गेस्ट हाउस में मायावती के साथ एसपी नेताओं ने कथित रूप से बदसलूकी की थी। मामले में मुलायम सिंह यादव, उनके भाई शिवपाल सिंह यादव, बेनी प्रसाद वर्मा और आजम खान सहित कई नेताओं के खिलाफ मायावती की ओर से हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया था।

मायावती ने यह कहा
मीडिया में आई इन खबरों पर सफाई देते हुए मायावती ने ट्वीट में लिखा, 'दिनांक 2 जून 1995 का लखनऊ गेस्ट हाउस केस बीएसपी और एसपी गठबन्धन के उपरान्त और लोकसभा आमचुनाव के दौरान ही एसपी के विशेष आग्रह पर दिनांक 26.02.2019 को सुप्रीम कोर्ट से वापस लिया गया था। न की अभी, जैसाकि कुछ मीडिया में प्रचारित किया जा रहा है।'

यह था मामला
1993 में एसपी-बीएसपी साथ चुनाव लड़े थे और तब इस गठबंधन ने अपनी सरकार भी बनाई थी। तत्कालीन एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव सीएम बने, लेकिन दो साल में ही इतनी खटास आ गई कि गठबंधन टूटने की नौबत आ गई। 2 जून 1995 को मायावती ने स्टेट गेस्ट हाउस में बीएसपी विधायकों की बैठक बुलाई। एसपी को भनक लगी कि बीएसपी गठबंधन तोड़ने जा रही है तो सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ एसपी नेताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया। इससे बचने के लिए मायावती ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। आरोप है कि इस दौरान एसपी नेताओं ने दरवाजा तोड़ दिया और मायावती के साथ बदसलूकी हुई। उन्हें गाली-गलौज व जातिसूचक शब्द कहे गए। किसी तरह से मायावती वहां से बचकर निकल सकीं। अगले दिन ही उन्होंने बीजेपी की मदद से सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बनीं।

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