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यूपी: ओवैसी की आजम खां से मिलने की तैयारी... अखिलेश को पड़ सकती है भारी

समाजवादी पार्टी के दिग्‍गज नेता आजम खां साल भर से जेल में बंद हैं। चर्चा है कि अखिलेश यादव ने उनकी रिहाई के लिए कुछ खास नहीं किया। ऐसे में यूपी की राजनीति में सक्रिय असदुद्दीन ओवैसी की आजम खां से बढ़ती नजदीकियां अख‍िलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।

नवभारत टाइम्स 20 Jan 2021, 11:32 am

हाइलाइट्स

  • समाजवादी पार्टी के मुस्लिम फेस कहे जाने वाले आजम खां पिछले करीब एक साल से जेल में बंद हैं
  • सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि अखिलेश यादव को उनके लिए जिस शिद्दत के साथ लड़ना चाहिए था, वे नहीं लड़े
  • अब जब ओवैसी यूपी की पॉलिटिक्स में एक्टिव हो रहे हैं तो उन्होंने आजम वाले मुद्दे को टच करने का फैसला किया है
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लखनऊ
एक वक्त समाजवादी पार्टी के मुस्लिम फेस कहे जाने वाले यूपी के फायरब्रांड नेता आजम खां पिछले करीब एक साल से जेल में बंद हैं। सियासी गलियारों में यह चर्चा आम है कि अखिलेश यादव को उनके लिए जिस शिद्दत के साथ लड़ना चाहिए था, वे नहीं लड़े।
राज्य की मुस्लिम कम्युनिटी के बीच भी यह मुद्दा तूल पकड़ रहा है कि जो कौम समाजवादी पार्टी के लिए कतार लगाकर वोट करती है, उस कौम के एक कद्दावर नेता की राजनीतिक विद्वेष की भावना से की जा रही दमनात्मक कार्रवाई पर अखिलेश यादव की खामोशी से उनके ‘मुस्लिम प्रेम’ की पोल खुल गई है।

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ओवैसी यूपी में एक्टिव हुए
खैर, अब जब ओवैसी यूपी की पॉलिटिक्स में एक्टिव हो रहे हैं, और उन्हें यह मालूम है कि मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जे के लिए उन्हें अखिलेश यादव से ही लड़ना होगा, तो उन्होंने आजम वाले मुद्दे को टच करने का फैसला किया है। उनके कैंप से इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि वे जेल में बंद आजम खां से मुलाकात करने की तैयारी में हैं। उनकी तरफ से आजम खां को इस तरह का संदेशा भिजवाया गया है कि वे उनसे मुलाकात करना चाहते हैं। जेल में मुलाकात तभी हो सकती है जब आजम खां इसके लिए अपनी तरफ से हामी भरें।

अखिलेश के लिए होगी बुरी खबरओवैसी को भी आजम खां की हामी का इंतजार है। अगर ओवैसी उनसे मुलाकात करने में कामयाब हो जाते हैं तो अखिलेश के लिए यह शर्मसार करने वाली खबर होगी। इसके दूरगामी नतीजे हो सकते हैं। वैसे ओवैसी की आमद की आहट के बाद अखिलेश ने कील-कांटे दुरुस्त करने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन को एक बार फिर से विधान परिषद का टिकट देकर मुस्लिम कम्युनिटी को अपनी तरफ से सकारात्मक संदेश देने की ही कोशिश की है।

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