प्रेम शंकर मिश्र/विकास पाठक, वाराणसी/लखनऊ
यूपी में बीजेपी के सांसदों को साफ तौर पर अपने क्षेत्र की विधानसभाएं संभालने को कह दिया गया है। बूथ प्रबंधन से लेकर रणनीतिक अभियानों में उन्हें भागीदारी इस तरह से करनी होगी कि उसे जीत में बदल सकें। पीएम नरेंद्र मोदी बतौर सांसद वाराणसी से इसका आगाज करेंगे। वे पहली बार अपने संसदीय क्षेत्र के बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे। पीएम का 22 दिसंबर को आना तय हो गया है।
20 हजार कार्यकर्ताओं से सीधे बात
डीरेका मैदान में होने वाले सीधे संवाद कार्यक्रम में संसदीय क्षेत्र की उत्तरी, दक्षिणी, कैंट, सेवापुरी और रोहनिया विधानसभाओं के करीब 1800 बूथों के 20 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता जुटेंगे। प्रत्येक विधानसभा के 40-40 सेक्टर प्रभारी भी इसमें शामिल होंगे। पार्टी सूत्रों की मानें तो यह कार्यक्रम पूरी तरह से संघ शिविर की तर्ज पर होगा। इस दौरान पीएम वाराणसी में चल रहे 591 करोड़ रुपये के आईपीडीएस प्रॉजेक्ट के मॉडल कार्य का उद्घाटन करने संग राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में भी शामिल होंगे।
जमीनी फीडबैक की कवायद
यह पूरी कवायद नोटबंदी के बाद बदले हालात के जमीनी फीडबैक लेने के लिए भी मानी जा रही है। बीजेपी यह मान रही है कि मोदी के इस फैसले के साथ ज्यादातर जनता है, हालांकि जिस तरह से कैश की दिक्कत आ रही है उससे मोमेंटम प्रभावित हो रहा है। यूपी चुनाव में यह मुद्दा तुरुप का पत्ता साबित होने वाला है। गिने-चुने नेताओं से आने वाला फीडबैक 'मोटिवेटेड' हो सकता है जबकि बूथ कार्यकर्ता सही स्थिति बता सकेंगे। वहीं मोदी की मंशा और एजेंडा लोगों तक ठीक से पहुंच सके इसमें भी बूथ कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका होगी। इसलिए दूसरे सांसदों के लिए नजीर के तौर पर मोदी ने एक बार फिर खुद को पेश किया है।
सांसदों का भी तय होगा 'भविष्य'
परफॉर्मेंस की कसौटी पर मोदी पहले भी सांसदों को कसते रहे हैं। 2017 का विधानसभा चुनाव मोदी सहित उनके सांसदों की सबसे बड़ी परीक्षा होगी। विधानसभा चुनाव में परफॉर्मेंस 2019 में सांसदों का भी भविष्य तय करेगा। इसमें आगे उनकी जीत से लेकर पार्टी की ओर से टिकट के लिए उनका चयन तक शामिल है। इसलिए मोदी ने सांसदों से कहा है कि अब वह सीधे अपने संसदीय क्षेत्र की विधानसभाओं में जुटें। अपनी योजनाओं में जनता को जोड़ उन्हें वोटर में बदलने की पहल करें। बूथ प्रबंधन दुरुस्त करें। विधानसभावार संगठन से लेकर योजनाओं तक में आने वाली समस्याओं का खाका तैयार करें। उसके समाधान की पहल करें और अगर उसमें दिक्कत है तो सरकार और संगठन तक उसे पहुंचाए जिससे चुनावी रणनीति की कसौटी पर कस माहौल ठीक किया जा सके।