लखनऊ
यूपी में विधान परिषद की शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन चुनाव की पांच सीटों के लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही मंगलवार से नामांकन शुरू हो गए हैं। अधिसूचना के अनुमोदन के साथ ही गवर्नर राम नाईक ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि इसके रिजल्ट 11 मार्च को विधानसभा चुनाव के साथ ही जारी हों। पहले परिणाम चुनाव प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, आयोग ने इससे अपनी असहमति जताई है।
प्रदेश में स्नातक निर्वाचन की तीन सीटों गोरखपुर-फैजाबाद, कानपुर और बरेली-मुरादाबाद और शिक्षक निर्वाचन की इलाहाबाद-झांसी और कानपुर सीट के लिए वोट 3 फरवरी को पड़ेंगे। वहीं इसका रिजल्ट 6 फरवरी को आएगा। स्नातक निर्वाचन की तीनों सीटें इस समय बीजेपी के पास हैं। गवर्नर ने आयोग को सुझाव दिया कि इसका रिजल्ट 6 फरवरी के बजाय 11 मार्च को घोषित किया जाए।
सर्वे के तरह इस्तेमाल करेंगी पार्टियां
स्नातक एवं शिक्षक निर्वाचन सीटों का दायरा यूपी के 39 जिलों तक है। इस तरह प्रदेश के 50 फीसदी से अधिक जिले चुनाव से प्रभावित होंगे। वहीं करीब 4 लाख स्नातक और शिक्षक इसके वोटर हैं। जाहिर है यह परिणाम जिस पार्टी के पक्ष में जाएगा वह इसके तुरंत बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सर्वे की तरह पेश करेगा। वोटर की न्यूनतम अर्हता स्नातक है इसलिए भी यह परिणाम पढ़े-लिखे वोटरों के सर्वे के तौर पर पेश किया जाएगा। जबकि, चुनाव आयोग ने प्री पोल सर्वे पर भी रोक लगा रखी है। इसी को आधार बनाकर गवर्नर ने चुनाव आयोग को यह सुझाव दिया था। हालांकि, आयोग की ओर से यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी़ वेंकटेश ने गवर्नर से मिलकर आयोग का पक्ष रखा। आयोग का मानना है कि विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता इससे प्रभावित नहीं होगी।
आचार संहिता के लिए कमिटी
चुनाव में आचार संहिता से जुड़े प्रस्तावों की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमिटी गठित करने के निर्देश चुनाव आयोग ने दिए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी. वेंकटेश ने बताया कि समिति में मुख्य सचिव के अलावा प्रस्ताव से संबंधित विभाग व समन्वय विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य होंगे। कमिटी तात्कालिता का परीक्षण कर प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजेगी। कोई भी विभाग अब अपना प्रस्ताव सीधे चुनाव आयोग को नहीं भेजेगा।