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Indrani Mukerjea: 'उन लोगों को माफ कर दिया, जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई', जेल में मैंने बहुत कुछ सीखा है: इंद्राणी मुखर्जी

इंद्राणी मुखर्जी शुक्रवार शाम को भायखला जेल से रिहा हो गईं। शीना बोरा मर्डर में वह साढ़े छह साल ये यहां बंद थीं। जेल से बाहर निकलने के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया थी- 'मैं बहुत खुश हूं।'

Edited byअविनाश पाण्डेय | नवभारत टाइम्स 21 May 2022, 10:12 am

हाइलाइट्स

  • भायखला जेल से बाहर आने के बाद इंद्राणी मुखर्जी ने कहा, मैं बहुत खुश हूं
  • मैंने उन सभी लोगों को माफ कर दिया है, जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई है
  • उन्होंने कहा कि फिलहाल आगे की कोई योजना नहीं है, सिर्फ घर जाना है
  • मुखर्जी को हत्या के मामले में साढ़े छह साल पहले गिरफ्तार किया गया था
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मुंबई: शुक्रवार को भायखला जेल से बाहर आने के बाद इंद्राणी मुखर्जी (Indrani Mukerjea) ने कहा, मैं बहुत खुश हूं। मैं फिलहाल घर जा रही हूं.. सहानुभूति और क्षमा.. मैंने उन सभी लोगों को माफ कर दिया है, जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई है। मैंने जेल में बहुत कुछ सीखा है।

उन्होंने कहा कि फिलहाल आगे की कोई योजना नहीं है, सिर्फ घर जाना है। इससे एक द‍िन पहले मुंबई स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बेटी शीना बोरा (Sheena Bora Murder Case) की हत्या के मामले की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को दो लाख रुपये के नकद मुचलके पर जमानत पर रिहा किए जाने की अनुमति दी थी। इसके बाद शुक्रवार को इंद्राणी मुखर्जी जेल से बाहर आ गईं।
साढ़े छह साल पहले गिरफ्तार किया गया था
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इंद्राणी मुखर्जी (50) की जमानत बुधवार को मंजूर ली थी और यहां निचली अदालत को उनकी जमानत संबंधी शर्तें तय करने का निर्देश दिया था। मुखर्जी को हत्या के मामले में साढ़े छह साल पहले गिरफ्तार किया गया था। वह अगस्त, 2015 में गिरफ्तारी के बाद से मुंबई के भायखला महिला कारागार में बंद थीं। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश वी़ सी़ बर्दे ने मुखर्जी को दो सप्ताह के भीतर जमानदार मुहैया कराने का गुरुवार को आदेश दिया था। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि इस बीच वह जैसे ही समान राशि का नकद मुचलका जमा करती हैं, उन्हें रिहा किया जा सकता है।

पासपोर्ट विशेष अदालत को सौंपना होगा
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि मुखर्जी को अपना पासपोर्ट विशेष अदालत को सौंपना होगा और वह अदालत की अनुमति के बिना भारत से बाहर नहीं जा सकतीं। अदालत ने मुखर्जी को मामले के किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करने और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि मुखर्जी को सुनवाई में शामिल होना होगा और वह स्थगन का अनुरोध नहीं कर सकती। मुंबई पुलिस ने मुखर्जी को अप्रैल, 2012 में अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या करने के आरोप में 2015 में गिरफ्तार किया था। मुखर्जी की गिरफ्तारी के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।
लेखक के बारे में
अविनाश पाण्डेय
अविनाश पाण्डेय बीते 16 साल से मुंबई में पॉलिटिक्स, क्राइम,और डिफेंस के अलावा जनता से जुड़े मुद्दों की रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इंडिया टीवी, लाइव इंडिया, मी मराठी, न्यूज़ 24 और सी-टीवी में भी रिपोर्टिंग का अनुभव। नवभारत टाइम्स डिजिटल में असिस्टेंट न्यूज़ एडिटर के रूप में महाराष्ट्र की जिम्मेदारी।... और पढ़ें

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