मुंबई, बृजेश त्रिपाठी
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर रही बीएमसी ने दूसरी लहर से तीन गुना ज्यादा ऑक्सिजन की तैयारी की है। बीएमसी ने मुंबई में रोज 600 मीट्रिक टन ऑक्सिजन के इस्तेमाल की तैयारी की है। बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने बताया, 'कोरोना की दूसरी लहर में पूरे देश में ऑक्सिजन की किल्लत हुई थी।
विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कहा है कि तीसरी लहर में छोटे बच्चे ज्यादा चपेट में आ सकते हैं। इससे ऑक्सिजन की ज्यादा जरूरत पड़ेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए बीएमसी कमिश्नर आई.एस. चहल के मार्गदर्शन में मुंबई में ऑक्सिजन प्लांट की तैयारी शुरू हुई।
काकानी ने बताया, 'मुंबई में ऑक्सिजन के 75 प्लांट लगाए जा रहे हैं। उनमें से 34 प्लांट तैयार हो गए हैं। सितंबर तक 41 प्लांट तैयार हो जाएंगे। इनमें 12 अस्पतालों में 16 प्लांट भी शामिल हैं। सभी जंबो कोविड सेंटरों में भी ऑक्सिजन प्लांट लगाए जा रहे हैं।'
दूसरी लहर में लगी थी रोज 210 टन ऑक्सिजन
काकानी ने बताया, 'कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल-मई में चरम पर थी। उस दौरान मुंबई में रोज 10-11 हजार मरीज मिल रहे थे। उस दौरान रोज 210 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती थी।' उन्होंने बताया, 'अब दूसरी लहर पर लगभग काबू पा लिया गया है। रोज 250-300 मरीज मिल रहे हैं और ऑक्सिजन की खपत घटकर सिर्फ 50 मीट्रिक टन रह गई है।'
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी कर रही बीएमसी ने दूसरी लहर से तीन गुना ज्यादा ऑक्सिजन की तैयारी की है। बीएमसी ने मुंबई में रोज 600 मीट्रिक टन ऑक्सिजन के इस्तेमाल की तैयारी की है। बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने बताया, 'कोरोना की दूसरी लहर में पूरे देश में ऑक्सिजन की किल्लत हुई थी।
विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कहा है कि तीसरी लहर में छोटे बच्चे ज्यादा चपेट में आ सकते हैं। इससे ऑक्सिजन की ज्यादा जरूरत पड़ेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए बीएमसी कमिश्नर आई.एस. चहल के मार्गदर्शन में मुंबई में ऑक्सिजन प्लांट की तैयारी शुरू हुई।
काकानी ने बताया, 'मुंबई में ऑक्सिजन के 75 प्लांट लगाए जा रहे हैं। उनमें से 34 प्लांट तैयार हो गए हैं। सितंबर तक 41 प्लांट तैयार हो जाएंगे। इनमें 12 अस्पतालों में 16 प्लांट भी शामिल हैं। सभी जंबो कोविड सेंटरों में भी ऑक्सिजन प्लांट लगाए जा रहे हैं।'
दूसरी लहर में लगी थी रोज 210 टन ऑक्सिजन
काकानी ने बताया, 'कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल-मई में चरम पर थी। उस दौरान मुंबई में रोज 10-11 हजार मरीज मिल रहे थे। उस दौरान रोज 210 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती थी।' उन्होंने बताया, 'अब दूसरी लहर पर लगभग काबू पा लिया गया है। रोज 250-300 मरीज मिल रहे हैं और ऑक्सिजन की खपत घटकर सिर्फ 50 मीट्रिक टन रह गई है।'