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हाई कोर्ट ने कहा, म्हाडा अफसरों पर केस दर्ज करो

बिल्डर कंपनियों के साथ सांठगांठ करने और राज्य के खजाने को 40,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाने के आरोप में मुंबई हाई कोर्ट ने म्हाडा के अफसरों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने का आदेश दिया है।

नवभारत टाइम्स 19 Sep 2019, 11:05 am
मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

बिल्डर कंपनियों के साथ सांठगांठ करने और राज्य के खजाने को 40,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाने के आरोप में मुंबई हाई कोर्ट ने म्हाडा के अफसरों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने का आदेश दिया है। बुधवार को जस्टिस एससी धर्माधिकारी और एसके शिंदे की पीठ याचिकाकर्ता कमलाकर शेनॉय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया है कि म्हाडा अपनी जर्जर हो चुकी पुरानी इमारतों के पुनर्विकास के बाद बिल्डर कंपनियों से करीब 1.37 लाख वर्ग मीटर अतिरिक्त जमीन पर कब्जा पाने में असफल रहा है।

म्हाडा मुंबई में पुरानी और जीर्ण-शीर्ण इमारतों का रखरखाव भी करता है। इमारतों में रहने वाले लोग म्हाडा को उपकर (सेस) चुकाते हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि विकास नियंत्रण नियमन 33(7) के तहत पुनर्विकास परियोजना की कोई भी अतिरिक्त जमीन राज्य सरकार की संपत्ति है। शेनॉय ने आरोप लगाया कि म्हाडा के अधिकारी इस प्रावधान से अवगत थे, लेकिन इन पुरानी इमारतों का पुनर्विकास करने वाले बिल्डरों से अतिरिक्त जमीन वापस लेने में नाकाम रहे।

पीठ ने अपने फैसले में पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लयू) को पांच दिन के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने राज्य सरकार को अप्रैल 2018 में ऐंटि करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया। पत्र में दावा किया गया था कि इस मामले में म्हाडा के अधिकारियों की भूमिका संदेह से परे नहीं है।

अदालत ने कहा कि एसीबी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि पहली नजर में संज्ञेय अपराध हुआ, लेकिन शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और एसीबी ने याचिकाकर्ता की शिकायत पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि डिवेलपर्स ने अतिरिक्त जमीन की बिक्री खुले बाजार में कर दी।

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