मुंबई
कोलाबा-बांद्रा-सीप्स मेट्रो लाइन-3 का निर्माण कार्य एक के बाद एक रुकावटों के कारण अधर में लटकता जा रहा है। इससे न सिर्फ प्रॉजेक्ट पूरा करने में देरी हो रही है, बल्कि आम जनता का पैसा भी जाया हो रहा है। ज्ञात हो कि मेट्रो-3 का निर्माण कार्य यदि एक दिन के लिए भी बंद होता है, तो करीब 4 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
इसके बावजूद मुंबई मेट्रो-3 के रास्ते में आड़े आ रहे राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों को पार्टियां खाली करने को तैयार नहीं हैं। मामला विधान भवन के सामने बैरकों में बने एनसीपी के कार्यालय का है। जिन्हें ये पार्टियां खाली नहीं कर रही हैं। विधान भवन की के पास की जमीन मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन(एमएमआरसीएल) को राज्य सरकार द्वारा सौंपी गई थी। राजनीतिक पार्टियों और कॉर्पोरेट कंपनियों द्वारा जगह न खाली करने की वजह मेट्रो-3 का निर्माण कार्य फिर अधर में लटक गया है।
जानकारी के अनुसार, विधान भवन के पास कुल 31 कार्यालय थे, जिन्हें एमएमआरसीएल द्वारा ठाकरे हाउस में स्थानांतरित करना था। इसमें से 18 कार्यालय स्थानांतरित किए जा चुके हैं, जबकि 8 कार्यालय 5 मई से पहले स्थानांतरित कर दिए जाएंगे। लेकिन भारिप, एनसीपी,एमपीसीसी, अभियोग संचालया और मैट के कार्यालय स्थानांतरित नहीं हुए हैं। इससे निर्माण कार्य खलल में पड़ गया है।
एक दिन काम बंद तो 4 करोड़ का नुकसान
एक दिन के लिए मेट्रो का निर्माण कार्य बंद हो जाए, तो भी प्रॉजेक्ट के लिए गए लोन के साथ-साथ मजदूरों के वेतन, मशीनों के किराए को मिला कर 4 करोड़ रुपये भरने होते हैं। ऐसे में काम बंद होने से न सिर्फ प्रॉजेक्ट में विलंब होता है, बल्कि पैसों की बर्बादी भी होती है। इससे प्रॉजेक्ट कॉस्ट बढ़ जाती है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
इससे पहले एनजीटी के बैन की वजह से मेट्रो-3 का निर्माण कार्य रुका हुआ है। ऐसे में अब कार्यालय न खाली करने से भी निर्माण कार्य में बाधाएं आ रहीं हैं।