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सूट-बूट छोड़कर 59 साल के हीरा कारोबारी ने चुने सफेद कपड़े, बनेंगे जैन भिक्षु

गुजरात के प्रतिष्ठित कारोबारी अब मोह-माया त्यागकर साधु-संत के जीवन को अपना रहे हैं। ऐसे ही एक हीरा कारोबारी हैं यात्रिक जो अब वह अपनी नई यात्रा में निकल पड़े हैं। 59 साल के यात्रिक जावेरी मोतीलाल दयाबाई जावेरी ऐंड संस के पार्टनर हैं जो मुंबई में सबसे पुरानी डायमंड फर्म में से एक है।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 22 Apr 2018, 8:57 am
मुंबई
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संपत्ति छोड़कर जैन भिक्षु बनेंगे व्यापारी

गुजरात के प्रतिष्ठित कारोबारी अब मोह-माया त्यागकर साधु-संत के जीवन को अपना रहे हैं। ऐसे ही एक हीरा कारोबारी हैं यात्रिक जो अब वह अपनी नई यात्रा में निकल पड़े हैं। 59 साल के यात्रिक जावेरी मोतीलाल दयाबाई जावेरी ऐंड संस के पार्टनर हैं जो मुंबई में सबसे पुरानी डायमंड फर्म में से एक है। यात्रिक अब सूट-बूट और टाइ के बजाय सफेद शॉल और धोती में दिखेंगे और मोक्ष प्राप्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करेंगे।

दरअसल यात्रिक जैन भिक्षु बनने जा रहे हैं, रविवार को अपने परिवार और दोस्तों के सामने वह इसकी दीक्षा लेंगे। जिंदगी भर करोड़ों की कमाई करने वाले जावेरी अब ज्ञान को 'कमाना' चाहते हैं। मुंबई के वाल्केश्वर के पास तीन बत्ती इलाके के पंचशील प्लाजा में रविवार को दीक्षा ग्रहण कार्यक्रम होगा। अहमदाबाद में पैदा हुए जावेरी ने 20 से 21 की साल की उम्र में फैमिली बिजनस जॉइन किया था।

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करीब डेढ़ साल पहले बायकुला में लबधिचंद्रसागर महाराज के व्याख्यानों की श्रृंखला सुनने के बाद उन्होंने परिवार और समाज छोड़कर जैन भिक्षु बनने का फैसला किया था। दीक्षा ग्रहण करने से एक दिन पहले जावेरी ने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें अपने इस निर्णय के लिए पत्नी, बेटा-बेटी और पोता-पोती सहित परिवार के सभी सदस्यों का समर्थन मिला।

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वह कहते हैं, 'ऐसा लग रहा है कि मैं अपने एक घर से दूसरे घर जा रहा हूं जहां मेरे हजारों पारिवारिक सदस्य हैं। मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर से सीधा संबंध तलाश रहा हूं।' जावेरी एक किताब भी लिख चुके हैं- स्वदोष दर्शन। उनके गुरु लबधिचंद्रसागर महाराज ने कहा कि जावेरी में धर्म के बारे में सीखने का काफी उत्साह है और वह समाज में ज्ञान और खुशियां फैलाने की इच्छा रखते हैं।

वह कहते हैं, 'किसी भी उम्र में अपने संपन्न व्यवसाय त्यागकर संन्यास धारण करना बेहद मुश्किल है। हमने उन्हें समाज का सदस्य रहते हुए अपने सदकार्य करने को कहा था लेकिन वह भिक्षु बनने की इच्छा रखना चाहते हैं।' इससे पहले सूरत के हीरा व्यापारी दीपेश शाह के 12 वर्षीय बेटे भव्य जैन और 24 साल के सीए मोक्षेश सेठ अपनी करोड़ों की संपत्ति छोड़कर जैन भिक्षु बने थे।

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