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रजनीकांत : महाराष्ट्र के लिए कम नहीं हुआ प्यार, पूरा होगा मराठी फिल्म का सपना?

​जाते हुए साल को विदा करने से पहले अभिनेता रजनीकांत ने आखिरकार राजनेता बनने का ऐलान कर ही दिया। वे आध्यात्मिक राजनीति करने का इरादा रखते हैं, यानी सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार की साफ-सफाई और जनता की भलाई के लिए काम करेंगे। राजनीतिक दल की योजना का संकेत उन्होंने 12 दिसंबर को अपने जन्मदिन पर बधाई देने आए प्रशंसकों को पहले ही दे दिया था।

नवभारत टाइम्स 1 Jan 2018, 9:51 am
मिथिलेश सिन्हा, मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम अभिनेता रजनीकांत (फाइल फोटो)
अभिनेता रजनीकांत (फाइल फोटो)

जाते हुए साल को विदा करने से पहले अभिनेता रजनीकांत ने आखिरकार राजनेता बनने का ऐलान कर ही दिया। वे आध्यात्मिक राजनीति करने का इरादा रखते हैं, यानी सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार की साफ-सफाई और जनता की भलाई के लिए काम करेंगे। राजनीतिक दल की योजना का संकेत उन्होंने 12 दिसंबर को अपने जन्मदिन पर बधाई देने आए प्रशंसकों को पहले ही दे दिया था।

तमिल और कन्नड़ के साथ-साथ फर्राटेदार मराठी बोलने वाले रजनीकांत मूलत: मराठी हैं। उनका असली नाम शिवाजीराव गायकवाड़ है। उनके पिता रामोजी राव गायकवाड़ पुलिस कॉन्स्टेबल थे और छत्रपति शिवाजी के जबरदस्त फैन थे, लिहाजा तीन बेटों में से एक का नाम शिवाजी रखा। परिवार बेंगलुरु जा बसा, जहां शिवाजी ने छोटी सी उम्र में मां को खोया, गरीबी के दिन काटे, कुली और कारपेंटर का काम किया, मगर हौसला नहीं खोया। रामकृष्ण आश्रम के विवेकानंद स्कूल में पढ़ाई के दौरान अर्जित आध्यात्मिक शक्ति और रंगमंच के अभिनय ने उसे जीने का हौसला दिया।

बस कंडक्टर की नौकरी की, तब भी टिकट देने या सिक्के लौटाने की ऐसी मनोरंजक अदाएं वह दिखाता कि पैसेंजर दूसरी बसें छोड़ देते और उसकी बस का बेसब्री से इंतजार करते। साथी बस कंडक्टरों की आर्थिक मदद के बल पर चेन्नै के फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिल होने की हिम्मत की और फिल्म स्टार बने तो इन साथियों को भूले नहीं, बल्कि सबकी किस्मत चमका दी। तमिल के अलावा 'हम', 'गिरफ्तार', 'असली नकली' सहित काफी हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया। अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा से आत्मीयता बनाए रखी।

गरीब की झोली में चुपके से कुछ रुपये डाल देते
महाराष्ट्र की धरती से उनका प्रेम हमेशा कायम रहा। कुछ साल पहले त्र्यंबकेश्वर के दर्शन के लिए वे मुंबई से कार से निकले, तो ढाबों पर रुक कर खाना खाया। रास्ते में कोई गांव मिलता, तो लोगों से उनका हालचाल पूछते। किसी चौराहे पर किसी गरीब की झोली में चुपके से कुछ रुपये डाल देते। यह किस्सा एक फिल्मकार के सहायक ने बताया था, जो उस यात्रा पर रजनीकांत के साथ गाइड के रूप में गया था।

पूरा हो सकता है मराठी फिल्म में काम करने का सपना
मराठी फिल्म में काम करने रजनीकांत का पुराना सपना रहा है। अपनी यह इच्छा उन्होंने शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के सामने भी जाहिर की थी, जब वे फोन कर एक दिन अचानक मातोश्री जा पहुंचे थे। उद्धव ठाकरे ने खुद अपने कैमरे से इस मुलाकात की तस्वीरें खींची थीं। आदित्य ठाकरे ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। उस दिन भी फर्राटेदार मराठी में रजनीकांत ने मराठी फिल्मों में काम करने की इच्छा जाहिर की थी। उनकी यह इच्छा शायद इस साल पूरी हो जाए। रजनीकांत एक मराठी फिल्म 'पसायदान' में काम करने जा रहे हैं, जिसमें संभवत: मम्मूटी भी उनके साथ होंगे। फरवरी में शूटिंग की योजना है। अब सब कुछ उनकी नई राजनीतिक व्यस्तताओं पर निर्भर करता है।

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