मुंबई
महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी है, लेकिन अब तक विद्यार्थियों का मूल्यांकन और अंक आवंटन का प्रारूप-सूत्र नहीं बना पाया है। सोमवार को बोर्ड की तरफ से बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बातें कही गई। न्यायमूर्ति एस.जे. काथावाला और न्यायमूर्ति एस.पी.तावडे की खंडपीठ द्वारा पुणे के प्रफेसर धनंजय कुलकर्णी की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। याचिका में दसवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में आईसीएसई और सीबीएसई बोर्डों के ऐसे निर्णयों को भी चुनौती दी गई है। इस पर सभी प्रतिवादियों को दो दिन में हलफनामा देना है। मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
सुनवाई के दौरान कुलकर्णी के वकील उदय वारुंजिकर ने दलील दी कि हर बोर्ड की अलग-अलग अंक आवंटन प्रणाली है। इससे विद्यार्थियों को 11वीं में दाखिला लेने में परेशानी होगी। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को इस मामले में दखल देते हुए एक-समान नीति लेकर सामने आना चाहिए।' केंद्र के वकील संदेश पाटील ने कहा कि केंद्र का सीबीएसई बोर्ड पर कुछ नियंत्रण है, लेकिन आईसीएसई और एसएससी बोर्ड स्वायत्त हैं, जिन पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
एसएससी बोर्ड के वकील किरण गांधी ने अदालत से कहा कि याचिका दायर करने में जल्दबाजी की गई है। बोर्ड ने फिलहाल दसवीं के विद्यार्थियों के लिए अंक आवंटन का फॉर्मेट या फॉर्म्युला तैयार नहीं किया है। बोर्ड की परीक्षा समिति पहले एक फॉर्म्युला तैयार करेगी, फिर उसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। पीठ ने सभी प्रतिवादियों का पक्ष सुनने के बाद याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया।
महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी है, लेकिन अब तक विद्यार्थियों का मूल्यांकन और अंक आवंटन का प्रारूप-सूत्र नहीं बना पाया है। सोमवार को बोर्ड की तरफ से बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बातें कही गई।
सुनवाई के दौरान कुलकर्णी के वकील उदय वारुंजिकर ने दलील दी कि हर बोर्ड की अलग-अलग अंक आवंटन प्रणाली है। इससे विद्यार्थियों को 11वीं में दाखिला लेने में परेशानी होगी। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को इस मामले में दखल देते हुए एक-समान नीति लेकर सामने आना चाहिए।' केंद्र के वकील संदेश पाटील ने कहा कि केंद्र का सीबीएसई बोर्ड पर कुछ नियंत्रण है, लेकिन आईसीएसई और एसएससी बोर्ड स्वायत्त हैं, जिन पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
एसएससी बोर्ड के वकील किरण गांधी ने अदालत से कहा कि याचिका दायर करने में जल्दबाजी की गई है। बोर्ड ने फिलहाल दसवीं के विद्यार्थियों के लिए अंक आवंटन का फॉर्मेट या फॉर्म्युला तैयार नहीं किया है। बोर्ड की परीक्षा समिति पहले एक फॉर्म्युला तैयार करेगी, फिर उसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। पीठ ने सभी प्रतिवादियों का पक्ष सुनने के बाद याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया।