मुंबई
हाल ही में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना से बीएमसी के 3 अस्पतालों को बाहर किए जाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। वैसे तो प्रशासन ने अस्पतालों को फिर से योजना में शामिल करने के लिए हरी झंडी दे दी है, लेकिन इस पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्कीम से बाहर करने से पहले अस्पताल को कई नोटिस भेजे गए थे, लेकिन किसी का जवाब नहीं दिया गया। बता दें कि महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को 1.5 लाख रुपये तक की इलाज में सरकार की तरफ से कैशलेस आर्थिक मदद मिलती है।
मिली जानकारी के अनुसार, राज्यभर में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना से 492 अस्पताल जुड़े हैं और फिलहाल इसकी संख्या इससे अधिक बढ़ाई नहीं जा सकती। स्कीम से जुड़े अस्पताल ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं इसकी जांच के लिए समय-समय पर अस्पतालों से रिपोर्ट मांगी जाती है। ऐसे अस्पतालों को, जहां मरम्मत का काम जारी हो या जिनका प्रदर्शन ठीक न हो उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है। इन अस्पतालों के भी बेहतर प्रदर्शन न होने के कारण उन्हें नोटिस भेजी गई थी,लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि बीएमसी के अनुसार उन्हें बिना किसी नोटिस के ही योजना से बाहर कर दिया गया।
योजना के कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुधाकर शिंदे ने कहा,' बीएमसी के अस्पतालों को योजना से बाहर करने से पहले हमने उन्हें 35 बार नोटिस भेजे थे, लेकिन अस्पताल द्वारा एक नोटिस का भी जवाब नहीं दिया गया। अस्पतालों की संख्या सीमित है, इसलिए हम बंद पड़े या बेहतर प्रदर्शन नहीं करने वाले अस्पतालों को योजना से नहीं जोड़े रख सकते। क्योंकि इससे कहीं न कहीं मरीज ही प्रभावित होते हैं। जब हमें जवाब नहीं मिला और इस बारे में कोई कम्यूनिकेशन नहीं हुआ तो अस्पताल को योजना से बाहर किया गया। हालांकि हमने फिर से उन्हें आवेदन करके इसका हिस्सा बनने का विकल्प दिया है।'
हाल ही में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना से बीएमसी के 3 अस्पतालों को बाहर किए जाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। वैसे तो प्रशासन ने अस्पतालों को फिर से योजना में शामिल करने के लिए हरी झंडी दे दी है, लेकिन इस पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्कीम से बाहर करने से पहले अस्पताल को कई नोटिस भेजे गए थे, लेकिन किसी का जवाब नहीं दिया गया। बता दें कि महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को 1.5 लाख रुपये तक की इलाज में सरकार की तरफ से कैशलेस आर्थिक मदद मिलती है।
मिली जानकारी के अनुसार, राज्यभर में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना से 492 अस्पताल जुड़े हैं और फिलहाल इसकी संख्या इससे अधिक बढ़ाई नहीं जा सकती। स्कीम से जुड़े अस्पताल ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं इसकी जांच के लिए समय-समय पर अस्पतालों से रिपोर्ट मांगी जाती है। ऐसे अस्पतालों को, जहां मरम्मत का काम जारी हो या जिनका प्रदर्शन ठीक न हो उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है। इन अस्पतालों के भी बेहतर प्रदर्शन न होने के कारण उन्हें नोटिस भेजी गई थी,लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि बीएमसी के अनुसार उन्हें बिना किसी नोटिस के ही योजना से बाहर कर दिया गया।
योजना के कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुधाकर शिंदे ने कहा,' बीएमसी के अस्पतालों को योजना से बाहर करने से पहले हमने उन्हें 35 बार नोटिस भेजे थे, लेकिन अस्पताल द्वारा एक नोटिस का भी जवाब नहीं दिया गया। अस्पतालों की संख्या सीमित है, इसलिए हम बंद पड़े या बेहतर प्रदर्शन नहीं करने वाले अस्पतालों को योजना से नहीं जोड़े रख सकते। क्योंकि इससे कहीं न कहीं मरीज ही प्रभावित होते हैं। जब हमें जवाब नहीं मिला और इस बारे में कोई कम्यूनिकेशन नहीं हुआ तो अस्पताल को योजना से बाहर किया गया। हालांकि हमने फिर से उन्हें आवेदन करके इसका हिस्सा बनने का विकल्प दिया है।'