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बीएमसी के अस्पतालों में गरीब मरीजों के इलाज पर खड़ा हुआ संकट

बीएमसी के चार अस्पतालों में बेहद गरीब मरीजों की अब शायद सुनवाई नहीं होगी। वजह है कि इन अस्पतालों को महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

नवभारत टाइम्स 23 Jan 2019, 7:10 am
अखिलेश पांडेय, मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम सांकेतिक चित्र
सांकेतिक चित्र

बीएमसी के चार अस्पतालों में बेहद गरीब मरीजों की अब शायद सुनवाई नहीं होगी। वजह है कि इन अस्पतालों को महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और सेवाओं में ढिलाई बरतने की वजह बताकर इन अस्पतालों को नोटिस दिए बिना ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस मुद्दे पर खूब हंगामा हो रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना विभाग द्वारा बीएमसी के तीन अस्पतालों कुर्ला भाभा, मुलुंड के वीर सावरकर और एम.टी. अग्रवाल अस्पताल का योजना से पंजीकरण खत्म कर दिया गया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए बीएमसी की स्वास्थ्य समिति की बैठक में एनसीपी नगरसेविका डॉ. सईदा खान ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। डॉ. खान ने कहा,‘बीएमसी अस्पतालों में मुख्य रूप से गरीब मरीज इलाज के लिए आते हैं। कई बार बड़ी सर्जरी और गंभीर बीमारियों के दौरान इलाज में काफी पैसे लग जाते हैं। ऐसे में इन अस्पतालों से सेवा खत्म करना सीधे गरीबों के साथ अपराध है। इस बारे में मैंने ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के अधिकारी को पत्र लिखकर 15 दिनों के भीतर इन अस्पतालों में फिर से योजना शुरू करने को कहा है। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम आंदोलन करेंगे।’

बिना नोटिस कर दिया पंजीकरण खत्म

बीएमसी पेरिफेरल अस्पतालों के प्रमुख डॉ. शशिकांत वाडेकर ने कहा, ‘अस्पतालों को बिना किसी नोटिस के ही बाहर कर दिया गया है। इस बारे में हमें मिले मेल के अनुसार, इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, अस्पतालों में मरम्मत का काम और सुविधाओं में कमी के कारण पंजीकरण खत्म किया गया है। लेकिन इनमें से कुछ अस्पतालों में तो मरम्मत का काम भी नहीं चल रहा है।’

कुछ अस्पतालों में मरम्मत का काम जारी
योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अस्पतालों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और सेवाओं में ढिलाई बरतने वाले राज्यभर में 60 अस्पतालों को स्कीम से बाहर निकाला गया है। बीएमसी के कुछ अस्पतालों में मरम्मत का काम चल रहा है। वहीं, कुछ जगहों पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण उन्हें योजना से दूर किया गया है। एक बार काम हो जाने के बाद फिर से उन्हें जोड़ दिया जाएगा।’ बता दें कि मुंबई में इस योजना से 44 अस्पताल जुड़े हैं। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को इलाज के लिए 1.5 लाख रुपये तक की मदद सरकार की तरफ से दी जाती है। इसके लिए योजना से जुड़े हुए अस्पतालों में डेस्क बनाए जाते हैं, जहां से इस संदर्भ में कागजी कार्रवाई होती है।

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