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धुले दंगा पीड़ितों को 6 साल के बाद भी है मुआवजे का इंतजार

महाराष्ट्र के धुले में छह साल पहले हुए दंगे की रिपोर्ट मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंप दी गई...

नवभारत टाइम्स 29 Jul 2018, 1:25 am
मुंबई
नवभारतटाइम्स.कॉम dhule

महाराष्ट्र के धुले में छह साल पहले हुए दंगे की रिपोर्ट मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंप दी गई, लेकिन उस रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया। रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने से पीड़ित परिवार आज भी मुआवजा पाने के लिए कभी जिलाधीश के यहां, तो कभी मंत्रालय की चौखट पर माथा टेकते हैं। इनकी फरियाद सुनने के लिए सरकार के पास वक्त नहीं है। मृतक के परिवार और घायल मुआवजे की राह आज भी जोह रहे हैं।

क्या था मामला
एक मामूली की बात को लेकर धुले शहर में 6 जनवरी, 2013 को दो लोगों में आपस में झगड़ा हो गया। इस छोटे से विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि इसने दंगे का शक्ल ले ली,। दंगे के कारण कई हिंदू और मुस्लिम परिवार तबाह हो गए। दंगे पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। फायरिंग को लेकर पुलिस की भूमिका पर उंगली उठाई गई। इस मामले में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) जावेद अहमद ने चार राज्य रिजर्व पुलिस बल के जवान और दो महाराष्ट्र पुलिस के कर्मचारियों को हिरासत लेने का आदेश दिया था।

सार्वजनिक नहीं की गई रिपोर्ट
दंगे के समय राज्य में कांग्रेस-राकांपा की सरकार थी। उस वक्त के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने दंगे में मारे गए लोगों के परिवारों को पांच लाख रुपये, हमेशा के लिए अपंग हुए लोगों को तीन लाख रुपये और घायलों को 20-20 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी। पूरे मामले की न्यायिक जांच के लिए मुंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के. यू. चंदीवाल की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित किया गया था।

उस आयोग ने सन 2016 में वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को रिपोर्ट सौंपी दी, लेकिन उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। आज वह रिपोर्ट धूल खा रही है। रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने से दंगे से पीड़ित लोगों को कोई मुआवजा नहीं मिला।

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