मुंबई में एक अगस्त से शुरू होगा डोर टू डोर वैक्सीनेशन, गंभीर मरीजों को मिलेगी प्राथमिकता
अदालत ने कहा कि सरकार और बीएमसी एक अगस्त से शय्याग्रस्त और चलने-फिरने में अक्षम लोगों का घर में टीकाकरण की शुरुआत कर सकते हैं और इस संबंध में प्रगति रिपोर्ट छह अगस्त को अदालत में जमा की जानी चाहिए।
हाइलाइट्स
- अगस्त माह से मुंबई में शुरू होगा डोर टू डोर वैक्सीनेशन
- शहर के गंभीर बीमार मरीजों को मिलेगी वैक्सीन
- इस अभियान की रिपोर्ट बीएमसी अदालत में पेश करेगी
- मुंबई में फ़िलहाल वैक्सीन की कमी से जूझ रहे हैं लोग
मुंबई
महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि वे प्रायोगिक तौर पर एक अगस्त से शय्याग्रस्त और चलने-फिरने में अशक्त लोगों का टीकाकरण घर-घर जाकर करने की शुरुआत करेंगे। अदालत ने इस पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कदम नहीं उठाया। हालांकि, राज्य सरकार इस मुद्दे पर खड़ी हुई है और इस अंधेरी सुरंग के अंत को लेकर कुछ रोशनी दिखाई दे रही है।’ राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोणी ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष कहा कि शुरुआत में घर-घर जाकर टीका लगाने की योजना पुणे में शुरू करने की थी लेकिन मुंबई के लोगों की प्रतिक्रिया पर विचार करने पर इसमें बदलाव किया गया।
मुंबई में 3,505 गंभीर बीमार
कुंभकोणी ने अदालत को बताया कि मुंबई में 3,505 गंभीर बीमार (शय्याग्रस्त) या चलने-फिरने में अशक्त लोगों ने अपनी राय दी और बताया कि वे टीकाकरण केंद्रों तक पहुंचने में असमर्थ हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में नीति की घोषणा कर दी गई है और एक अगस्त से घर-घर जाकर टीकाकरण की शुरुआत होगी। उन्होंने बताया कि नीति के तहत पूरी तरह से शय्याग्रस्त, चलने-फिरने में अक्षम या असाध्य लोगों से ग्रस्त लोग घर में टीकाकरण के योग्य होंगे।
अदालत ने कहा, ‘हमें उम्मीद और भरोसा है कि राज्य सरकार और बीएमसी योग्य शय्याग्रस्त और चलने-फिरने में अक्षम लोगों का टीकाकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी ताकि उन्हें भी कोविड-19 टीके का लाभ मिल सके।’ अदालत ने कहा कि घर में टीकाकरण अभियान के तहत उन शय्याग्रस्त और चलने-फिरने में अक्षम लोगों को भी शामिल किया जाए, जिन्हों किसी तरह कोविड-19 टीके की पहली खुराक ले ली है।
कुंभकोणी ने कहा कि वे उन लोगों को भी शामिल करेंगे और टीका मुफ्त होगा क्योंकि इस अभियान का संचालन सभी सरकारी और नगर निकाय के अस्पताल कर रहे हैं। अदालत दो वकीलों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिन्होंने 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और शय्याग्रस्त लोगों का टीकाकरण घर-घर जाकर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था, क्योंकि वे टीकाकरण केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि वे प्रायोगिक तौर पर एक अगस्त से शय्याग्रस्त और चलने-फिरने में अशक्त लोगों का टीकाकरण घर-घर जाकर करने की शुरुआत करेंगे। अदालत ने इस पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कदम नहीं उठाया। हालांकि, राज्य सरकार इस मुद्दे पर खड़ी हुई है और इस अंधेरी सुरंग के अंत को लेकर कुछ रोशनी दिखाई दे रही है।’
मुंबई में 3,505 गंभीर बीमार
कुंभकोणी ने अदालत को बताया कि मुंबई में 3,505 गंभीर बीमार (शय्याग्रस्त) या चलने-फिरने में अशक्त लोगों ने अपनी राय दी और बताया कि वे टीकाकरण केंद्रों तक पहुंचने में असमर्थ हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में नीति की घोषणा कर दी गई है और एक अगस्त से घर-घर जाकर टीकाकरण की शुरुआत होगी। उन्होंने बताया कि नीति के तहत पूरी तरह से शय्याग्रस्त, चलने-फिरने में अक्षम या असाध्य लोगों से ग्रस्त लोग घर में टीकाकरण के योग्य होंगे।
अदालत ने कहा, ‘हमें उम्मीद और भरोसा है कि राज्य सरकार और बीएमसी योग्य शय्याग्रस्त और चलने-फिरने में अक्षम लोगों का टीकाकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी ताकि उन्हें भी कोविड-19 टीके का लाभ मिल सके।’ अदालत ने कहा कि घर में टीकाकरण अभियान के तहत उन शय्याग्रस्त और चलने-फिरने में अक्षम लोगों को भी शामिल किया जाए, जिन्हों किसी तरह कोविड-19 टीके की पहली खुराक ले ली है।
कुंभकोणी ने कहा कि वे उन लोगों को भी शामिल करेंगे और टीका मुफ्त होगा क्योंकि इस अभियान का संचालन सभी सरकारी और नगर निकाय के अस्पताल कर रहे हैं। अदालत दो वकीलों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिन्होंने 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और शय्याग्रस्त लोगों का टीकाकरण घर-घर जाकर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था, क्योंकि वे टीकाकरण केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।