ब्रह्मांड ऊर्जा है और ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती। मनुष्य चूंकि ब्रह्मांड की ही संतान है, इसलिए वह भी ऊर्जा का ही रूप है। यह ऊर्जा भी कभी खत्म नहीं होती। आदमी मृत्यु के साथ देह छोड़ देता है। देह ऊर्जा के किसी दूसरे रूप में बदल जाती है। अब वह आदमी हमारे बीच भले ही देह के रूप में न रहे, पर वह हमारी स्मृति में, अपने कार्यों में बना रहता है। स्मृति हमारी सोच है और सोच भी ऊर्जा ही है। इसीलिए मृत्यु का शोक न मनाएं, उसे समझने की कोशिश करें।
अंतर्ज्ञान 6...
ब्रह्मांड ऊर्जा है और ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती। मनुष्य चूंकि ब्रह्मांड की ही संतान है, इसलिए वह भी ऊर्जा का ही रूप है। यह ऊर्जा भी कभी खत्म नहीं ...
Navbharat Times 7 Oct 2019, 8:30 am