पानी की तरह बिक रही ताजी हवा!
सरकार द्वारा लोगों को साफ पानी न मुहैया करने कि वजह से देश में मिनरल वाटर का चलन बढ़ा। अब प्रदूषण से न निपट पाने के कारण बोतल बंद ताजी हवा का चलन बढ़ रहा है। देश में बढ़ता प्रदूषण कुछ कंपनियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। कंपनियां अब ताजी और साफ हवा के नाम पर एयर प्यूरिफायर ला रही हैं। इनकी ब्रिकी चीन के बाद अब दिल्ली जैसे शहरों में भी धड़ल्ले से हो रही है। वहीं, विदेशों में कुछ जगहों पर टेलीफोन बूथनुमा साफ हवा लेने के लिए बूथ बनाए गए हैं। वैज्ञानिकों की वह चेतावनी अब सामने दिखने लगी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आबोहवा को बचाकर रखो, वर्ना पैसे चुकाकर इन मुफ्त प्राकृतिक संसाधनों को खरीदना पड़ेगा।
-अशोक भाटिया, ईमेल से
चुम्बक पर टिकी महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र में सरकार के गठन का कोई आधार ही नहीं बन रहा है। राज्य में अब भी राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना रूपी तीन चुम्बकीय शक्तियों के समानांतर खिंचाव के चलते सरकार गठन अधर में लटका हुआ है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम रूपी आकर्षण व गुरुत्वाकषर्ण भी उसे सरकार रूपी जमीन तक नहीं ला पा रहा है। भाजपा 'देखो, रुको और आगे बढ़ो' की गति से उनके चुम्बकीय गुरुत्वाकर्षण पर अनुसंधान बड़ी ही तल्लीनता से कर रही है। वह पता लगाने में लगी है कि कब, कैसे और किसकी चुम्बक की शक्ति कमजोर पड़े और वह अपनी 105 नंबर की सबसे भारी चुम्बक से सरकार रूपी कुर्सी को खींचने में सफल हो सके?
-देवेंद्र नेनावा, ईमेल से
किसानों को लाठियां नहीं, मुआवजा दें
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के किसान अपनी जमीन को अधिग्रहण किए जाने के बाद निर्धारित मुआवजे की मांग कर रहे हैं | इन गरीब व कमजोर किसानों की मांग पर ध्यान देने की बजाय पुलिस द्वारा बेरहमी से लाठियां बरसाई गईं। कई किसानों को मारपीट कर अधमरा कर दिया गया। ये गरीब किसान अपनी अधिग्रहित जमीन के बदले सरकार व कानून द्वारा निर्धारित किया गया वाजिब मुआवजा ही मांग रहे थे, फिर इन्हें लाठियों से पीटने की दरकार क्यों! अगर लोकतंत्र में आम जनों के वोट से बनी सरकार इनकी वाजिब मांगों को नहीं सुनेगी, तो कौन सुनेगा?
-हेमा हरि उपाध्याय, ईमेल से
अंतिम पत्र
खबर: भारत में अर्थव्यवस्था की हालत बेहद गंभीर: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह। (19/11, एनबीटी)
टिप्पणी: फिर भी बड़बोले नेताजी अपने को समझते हैं 'आर्थिक रणवीर।'
-रामस्वार्थ आचार्य, ईमेल से