मुंबई
मुंबई के नाले में तीन महीने पहले एक नवजात मिला था। नाले में सने इस नवजात का जन्म कुछ ही घंटों पहले हुआ था। उसे बाई जेरबाई वाडिया बाल अस्पातल में लाया गया। वह बुरी तरह संक्रमित था। उसके बचने की उम्मीद नहीं थी। तीन महीने एनआईसीयू में रहने के बाद अब यह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य है। शुक्रवार को उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। नवजात का पूरी तरह से स्वस्थ्य होने को डॉक्टर कोई चमत्कार ही मान रहे हैं। इस बच्चे को अस्पतालवालों ने टाइगर नाम दिया है।
टाइगर 30 दिसंबर 2018 को अंबरनाथ में एक नाले के अंदर मिला था। एक स्थानीय नागरिक शालिनी गायकवाड की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने अशोक फाउंडेशन के अशोक रगडे को सूचना दी। वे लोग नवजात को नाले से निकालकर अस्पताल ले गए। इस अस्पताल से उसे एक प्राइवेट नर्सिंग होम भेजा गया और फिर यहां पर ब्रेन में संक्रमण होने के चलते नवजात को वाडिया अस्पताल परेल ट्रांसफर कर दिया गया।
नवजात का इलाज करने वाली डॉ. अल्पना उत्तरे ने बताया कि जब बच्चे को उनके पास लाया गया उसकी हालत बहुत गंभीर थी। ब्रेन में बुरी तरह से संक्रमण था और कई बीमारियां थी। उसे कई ऐंटीबायटिक्स दिए गए लेकिन उस पर कोई असर नहीं हो रहा था। डॉक्टरों को उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। हालांकि उसका इलाज जारी रखा गया और यह चमत्कार ही था कि वह धीरे-धीरे सही होने लगा।
शिवाजी ने बताया कि उनकी पत्नी और वह बच्चे को कबीर नाम देना चाहते थे लेकिन बीस दिन बाद जब बच्चे ने पहली बार आंख खोली तो उन लोगों ने उसे टाइगर नाम दिया। शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया। डॉक्टरों ने कहा कि अभी टाइगर का फॉलोअप जारी रहेगा। उसे अगर कोई पैरंट गोद भी लेता है तब भी उन्हें फॉलोअप के लिए आना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि टाइगर का इलाज वे लोग अपने बच्चे की तरह करते रहेंगे।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें
मुंबई के नाले में तीन महीने पहले एक नवजात मिला था। नाले में सने इस नवजात का जन्म कुछ ही घंटों पहले हुआ था। उसे बाई जेरबाई वाडिया बाल अस्पातल में लाया गया। वह बुरी तरह संक्रमित था। उसके बचने की उम्मीद नहीं थी। तीन महीने एनआईसीयू में रहने के बाद अब यह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य है। शुक्रवार को उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। नवजात का पूरी तरह से स्वस्थ्य होने को डॉक्टर कोई चमत्कार ही मान रहे हैं। इस बच्चे को अस्पतालवालों ने टाइगर नाम दिया है।
टाइगर 30 दिसंबर 2018 को अंबरनाथ में एक नाले के अंदर मिला था। एक स्थानीय नागरिक शालिनी गायकवाड की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने अशोक फाउंडेशन के अशोक रगडे को सूचना दी। वे लोग नवजात को नाले से निकालकर अस्पताल ले गए। इस अस्पताल से उसे एक प्राइवेट नर्सिंग होम भेजा गया और फिर यहां पर ब्रेन में संक्रमण होने के चलते नवजात को वाडिया अस्पताल परेल ट्रांसफर कर दिया गया।
नवजात का इलाज करने वाली डॉ. अल्पना उत्तरे ने बताया कि जब बच्चे को उनके पास लाया गया उसकी हालत बहुत गंभीर थी। ब्रेन में बुरी तरह से संक्रमण था और कई बीमारियां थी। उसे कई ऐंटीबायटिक्स दिए गए लेकिन उस पर कोई असर नहीं हो रहा था। डॉक्टरों को उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। हालांकि उसका इलाज जारी रखा गया और यह चमत्कार ही था कि वह धीरे-धीरे सही होने लगा।
शिवाजी ने बताया कि उनकी पत्नी और वह बच्चे को कबीर नाम देना चाहते थे लेकिन बीस दिन बाद जब बच्चे ने पहली बार आंख खोली तो उन लोगों ने उसे टाइगर नाम दिया। शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया। डॉक्टरों ने कहा कि अभी टाइगर का फॉलोअप जारी रहेगा। उसे अगर कोई पैरंट गोद भी लेता है तब भी उन्हें फॉलोअप के लिए आना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि टाइगर का इलाज वे लोग अपने बच्चे की तरह करते रहेंगे।
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