मुंबई
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखने के लिए देश का सर्वोच्च न्यायालय हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन नेता हैं कि बचने के नए तरीके खोज लेते हैं। कोर्ट ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को अपने 'क्रिमिनल केस' की जानकारी अखबार और टीवी चैनल में विज्ञापन के माध्यम से देने का आदेश दिया था, लेकिन नेताओं ने ऐसे अखबारों में विज्ञापन छपवाया कि जिनके नाम भी नहीं सुने होंगे। एक नेता ने कहा कि आखिर ऐसा कौन नेता है, जो अपना आपराधिक रेकॉर्ड जनता को बताना चाहेगा?
महाराष्ट्र इलेक्शन वॉच और असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 3,237 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इनमें से 916 उम्मीदवारों (29%) पर आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें से 600 यानी 19 फीसद ऐसे हैं, जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। 4 उम्मीदवारों पर दुष्कर्म और 67 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे मामले भी दर्ज हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले ज्यादातर उम्मीदवार चुनाव जीत कर विधायक बन गए हैं।
क्या है मामला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। मतदान से पहले तीन बार अखबार में जानकारी देनी होती है। न्यूज चैनल पर भी प्रसारित करने के लिए कहा गया था। नामांकन वापसी के 4 दिन के अंदर अपने ऊपर चल रहे या लंबित आपराधिक मामलों का विज्ञापन विधानसभा क्षेत्र में अखबार छपवाना होता है।
368 उम्मीदवारों ने दी जानकारी
महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2019 के विधानसभा चुनाव में 368 उम्मीदवारों ने ही आपराधिक मामलों का विज्ञापन दिया। उन्होंने भी ऐसे अखबार चुने, जिसकी प्रसार संख्या बहुत कम है। नैशनल इलेक्शन वॉच ने दूसरे राज्यों में उम्मीदवारों ने अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों के अध्ययन में पाया था कि ज्यादातर विज्ञापन छोटे अखबारों या कम प्रसार वाले में छपवाए गए।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखने के लिए देश का सर्वोच्च न्यायालय हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन नेता हैं कि बचने के नए तरीके खोज लेते हैं। कोर्ट ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को अपने 'क्रिमिनल केस' की जानकारी अखबार और टीवी चैनल में विज्ञापन के माध्यम से देने का आदेश दिया था, लेकिन नेताओं ने ऐसे अखबारों में विज्ञापन छपवाया कि जिनके नाम भी नहीं सुने होंगे। एक नेता ने कहा कि आखिर ऐसा कौन नेता है, जो अपना आपराधिक रेकॉर्ड जनता को बताना चाहेगा?
महाराष्ट्र इलेक्शन वॉच और असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 3,237 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इनमें से 916 उम्मीदवारों (29%) पर आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें से 600 यानी 19 फीसद ऐसे हैं, जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। 4 उम्मीदवारों पर दुष्कर्म और 67 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे मामले भी दर्ज हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले ज्यादातर उम्मीदवार चुनाव जीत कर विधायक बन गए हैं।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार आपराधिक रेकॉर्ड का विज्ञापन ऐसे अखबारों में छपवाते हैं, जिनकी लोगों तक पहुंच नहीं है। इससे सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। हमने 5 चुनावों का विश्लेषण कर यही नतीजा निकाला है।
क्या है मामला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। मतदान से पहले तीन बार अखबार में जानकारी देनी होती है। न्यूज चैनल पर भी प्रसारित करने के लिए कहा गया था। नामांकन वापसी के 4 दिन के अंदर अपने ऊपर चल रहे या लंबित आपराधिक मामलों का विज्ञापन विधानसभा क्षेत्र में अखबार छपवाना होता है।
368 उम्मीदवारों ने दी जानकारी
महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2019 के विधानसभा चुनाव में 368 उम्मीदवारों ने ही आपराधिक मामलों का विज्ञापन दिया। उन्होंने भी ऐसे अखबार चुने, जिसकी प्रसार संख्या बहुत कम है। नैशनल इलेक्शन वॉच ने दूसरे राज्यों में उम्मीदवारों ने अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों के अध्ययन में पाया था कि ज्यादातर विज्ञापन छोटे अखबारों या कम प्रसार वाले में छपवाए गए।