उल्हासनगर
उल्हास नदी में खेमानी नाले का पानी सीधे ही बिना ट्रीटमेंट के भेजा जाता था। आंदोलन और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद उल्हासनगर महानगर पालिका ने 40 करोड़ रुपये की लागत से 16 एमएलडी का पंपिंग स्टेशन तो बनाया, लेकिन बारिश के दौरान खेमानी नाले का पानी सीधे उल्हास नदी में जा रहा है। बता दें कि यहीं से उल्हासनगर, कल्याण, डोंबिवली, भिवंडी नगरपालिकाओं के 50 लाख निवासियों को जलापूर्ति होती है।
कोई ठोस योजना न होने की वजह से नगर पालिका के पैसे तो डूब ही रहे हैं, 6 शहरों के लोग गंदा पानी भी पी रहे हैं। उल्हासनगर भारतीय जनता पार्टी के महासचिव संजय सिंह का कहना है कि इस संबंधित अधिकारी और ठेकेदार पर कार्रवाई होनी चाहिए।
जनता भी दोषी
परियोजना के तहत नाले पर सीमेंट की दीवार बनाई गई। साथ ही, नाले में बहकर आया सैकड़ों टन कचरा, प्लास्टिक की थैलियां पंपिंग स्टेशन में फंस जाता था, इसलिए जाली लगाई गई। हालांकि उल्हासनगर में रहने वाले लोग इमारतों से कचरा सीधे नाले में फेंकते हैं। पंपिंग स्टेशन कर्मियों को सैकड़ों टन कचरा रोज निकालना पड़ता है। कई बार पंपिंग स्टेशन में कचरा फंसने की शिकायत भी आती है।
उल्हास नदी में खेमानी नाले का पानी सीधे ही बिना ट्रीटमेंट के भेजा जाता था। आंदोलन और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद उल्हासनगर महानगर पालिका ने 40 करोड़ रुपये की लागत से 16 एमएलडी का पंपिंग स्टेशन तो बनाया, लेकिन बारिश के दौरान खेमानी नाले का पानी सीधे उल्हास नदी में जा रहा है। बता दें कि यहीं से उल्हासनगर, कल्याण, डोंबिवली, भिवंडी नगरपालिकाओं के 50 लाख निवासियों को जलापूर्ति होती है।
कोई ठोस योजना न होने की वजह से नगर पालिका के पैसे तो डूब ही रहे हैं, 6 शहरों के लोग गंदा पानी भी पी रहे हैं। उल्हासनगर भारतीय जनता पार्टी के महासचिव संजय सिंह का कहना है कि इस संबंधित अधिकारी और ठेकेदार पर कार्रवाई होनी चाहिए।
जनता भी दोषी
परियोजना के तहत नाले पर सीमेंट की दीवार बनाई गई। साथ ही, नाले में बहकर आया सैकड़ों टन कचरा, प्लास्टिक की थैलियां पंपिंग स्टेशन में फंस जाता था, इसलिए जाली लगाई गई। हालांकि उल्हासनगर में रहने वाले लोग इमारतों से कचरा सीधे नाले में फेंकते हैं। पंपिंग स्टेशन कर्मियों को सैकड़ों टन कचरा रोज निकालना पड़ता है। कई बार पंपिंग स्टेशन में कचरा फंसने की शिकायत भी आती है।